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बड़े सपनों की पाठशाला का नन्हा हेडमास्टर

  16 साल के बाबर अली का स्कूल बताता है कि बड़े काम बड़ी उम्र के मोहताज नहीं होते. सम्राट चक्रबर्ती की रिपोर्ट(तहलका (हिन्दी) से साभार) प. बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित बेल्डांगा रेलवे क्रॉसिंग के आस-पास शायद ही ऐसा कुछ हो जो आपको खास लगे. लेकिन कोलकाता से हमारी पांच घंटे की बस यात्रा की मंजिल यहीं थी. मार्क्सवादी सपने दिखानेवाले और शादीशुदा दंपत्तियों की निजी समस्याओं के समाधान...

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एएचआरसी- मध्यप्रदेश में २८ आदिवासी बच्चों की कुपोषण से मौत

एशियन ह्यूमन राइटस् कमीशन(एएचआरसी) की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मध्यप्रदेश में 28 बच्चों ने कुपोषण के दुष्चक्र में दम तोड़ दिया है। एएचआरसी के अनुसार पीडित बच्चों के परिवार सरकारी योजनाओं के तहत भोजन और स्वास्थ्य के मद में फिलहाल दी जा रही सहायता से भी वंचित हैं। एएचआरसी ने अपनी सूचना का आधार मध्यप्रदेश की एक संस्था लोक संघर्षमंच और सूबे में चलने वाले भोजन के अधिकार अभियान की एक...

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पोस्को ने घोषित किया श्रमिकों को आर्थिक पैकेज

भुवनेश्वर। विभिन्न स्तर पर विरोध का शिकार तथा जमीन अधिग्रहण के साथ अन्य कई विंवादों के चलते अधर में लटके पोस्को द्वारा श्रमिकों के लिए पहली बार पोस्को कंपनी द्वारा अर्थनैतिक पैकेज तैयार किया गया है। प्रस्तावित पोस्को इलाके में स्थित पान की खेती में लिप्त किसानों के लिए पोस्को द्वारा प्रस्तावित इस्पात कारखाना इलाके में विस्तृत पान की खेती है, जिसमें लगभग 1 हजार भूमिहीन श्रमिक मजदूरों के तौर पर काम कर रहे है। संपृक्त...

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नैनो परियोजना क्षेत्र पर खेती शुरू

सिंगूर। पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा की लखटकिया नैनो कार परियोजना लगने से पहले ही उखड़ जाने के बाद अब वहां स्वेच्छा से जमीन देने वाले ज्यादातर किसानों ने परियोजना क्षेत्र की अपनी जमीन पर खेती फिर शुरू कर दी है। किसान काफी समय तक इस उम्मीद में अपने पारंपरिक पेशे से दूर रहे कि सिंगूर से हटने की टाटा समूह की घोषणा के मद्देनजर वहां औद्योगीकरण के लिए कोई सार्थक पहल होगी।...

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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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