SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2118

गुजरात: बच्चों के लिए क्लास फर्स्ट से अंग्रेजी की मांग ने पकड़ा जोर

अहमदाबाद। देश में अंग्रेजी के बढ़ते चलन को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी सीखने और पढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। गुजरात के प्राइमरी स्कूलों में अब पहली कक्षा से ही अंग्रेजी की शिक्षा अनिवार्य करने की मांग अभिभावकों की तरफ से जोर पकड़ रही है।   शिक्षाविदों का कहना है कि बच्चों के लिए पहली कक्षा में अंग्रेजी की मांग निम्न मध्य वर्ग की अोर से...

More »

बंद करने लायक 60 स्कूलों में भी कराएंगे आरटीई के तहत दाखिला

रायपुर। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के मापदंडों पर खरे नहीं उतरने वाले 60 स्कूलों को बंद करने के बजाय आरटीई के तहत दाखिला कराने के दायरे में रखा गया है। ये तब स्थिति है, जब स्कूल शिक्षा विभाग ने तीसरी बार इन स्कूलों के मापदंडों की जांच करने के लिए निर्देश जारी किए हैं। जिला शिक्षा विभाग को 31 दिसम्बर तक इन स्कूलों की जांच करके उन्हें अंतिम रूप से...

More »

राजतंत्र से जनतंत्र तक-- संदीप मानुधने

जब अंगरेज भारत छोड़ कर गये, उन्होंने वे सभी प्रयास प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किये, जिससे उपमहाद्वीप में सदा के लिए दरारें पड़ी रहें. अंगरेजों की दिली तमन्ना थी कि भारत टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, क्योंकि इसे एक करनेवाला कोई है ही नहीं. लेकिन, उनके मंसूबों पर भारत के नेताओं ने पानी फेर दिया. सरदार पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया, पंडित नेहरू ने एक लोकतांत्रिक...

More »

घाटा, कर्ज का भीषण कांटा!-- अनिल रघुराज

कालेधन को साफ करने की जिस वैतरणी के लिए सरकार ने देश के 26 करोड़ परिवारों को तकलीफ की भंवर में धकेल दिया, वह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कर्मनाशा बनती दिख रही है. आइएमएफ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन तक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटा कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है, जबकि चीन का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ा...

More »

गांधी के सपनों का स्वराज-- श्री भगवान सिंह

वैसे महात्मा गांधी ‘स्वराज' या ‘स्वराज्य' संबंधी अपनी अवधारणा को जीवनपर्यन्त परिभाषित करते रहे, लेकिन जहां तक मैं समझ सका हूं, हिंदुस्तान के संदर्भ में उन्होंने जिस स्वराज की परिकल्पना की थी, उसके केंद्र में थी गांवों की स्वायत्त, स्वावलंबी अर्थ एवं प्रबंधन सत्ता। उनकी दृष्टि में गांवों की संपन्नता में ही देश की संपन्नता तथा गांवों की स्वायत्त पंचायती व्यवस्था में ही देश की सच्ची प्रजातांत्रिक छवि अभिव्यक्ति पा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close