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कहीं बोझ ना बन जाए युवा, मौका भुनाने के लिए कौशल विकास पर देना होगा ध्यान

डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल  जब किसी देश में कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या बच्चों और बुजुर्गों की आबादी को पीछे छोड़ आगे निकल जाती है, तो उसे जनसांख्यिकी लाभांश क्षेत्र कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में जानकारी दी है कि भारत मौजूदा समय में इसी दौर से गुजर रहा है और अगले दशक तक इसी क्षेत्र में बना रहेगा। आईएलओ द्वारा जारी आंकड़ों के...

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भारत की शिक्षा व्यवस्था पर 'असर' ने क्या असर डाला ?

औपचारिक शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए अधिकांश अभिभावक-गण अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं। बच्चों के लिए स्कूल ढूँढते हैं, बस्ता खरीदते हैं, पेन- पेन्सिल, कॉपी-किताब खरीदते हैं, स्कूल की पोशाक खरीदते हैं। तमाम सरकारों की भी यही कोशिश रही कि बच्चे स्कूल जाएँ। सरकारों ने विद्यालयों का निर्माण करवाया, शिक्षकों की नियुक्ति की और ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई। पिछले कई दशकों में ऐसे कई कदम उठाए गए...

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झारखंड में मिड डे मील में प्याज, लहसुन, अंडा बंद, केंद्रीकृत किचन व्यवस्था पर उठे सवाल

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चार प्रखंडों के सभी सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) के लिए लागू केंद्रीकृत किचन व्यवस्था फेल रही है। स्कूली बच्चे इस व्यवस्था से त्रस्त हो गए हैं और पुरानी मध्याह्न भोजन व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने...

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पढ़ाई के साथ हुनर भी सीखते हैं आदिवासी बच्चे

बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के ककराना गांव में ऐसा आवासीय स्कूल है, जहां न केवल पलायन करनेवाले आदिवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं बल्कि हुनर भी सीखते हैं। यहां उनकी पढ़ाई भिलाली, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में होती है। वे यहां खेती-किसानी से लेकर कढ़ाई, बुनाई, बागवानी और मोबाइल पर वीडियो बनाना सीखते हैं। अब इस स्कूल का एक भील वॉयस नामक यू ट्यूब चैनल भी चल रहा है। पश्चिमी...

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कटी हुई अँगुलियाँ और चमचमाती कारें

क्या आप जानते हैं कि आपकी कार बनाते समय कितने लोगों की अँगुलियाँ कट गई थी ? आपने जिस भी कंपनी से कार खरीदी है, क्या वहाँ सुरक्षा मानकों की पालना की जा रही थी ? मजदूरों की सुरक्षा के लिए कौनसे कदम उठाएँ गए हैं ? क्या वो पर्याप्त हैं ?  इसी तरह के सवाल का ज़वाब तलाशती है– ‘सेफ इन इंडिया’ की रिपोर्ट – सेफ्टी–नीति 2023 और CRUSHED 2022. ऑटो–मोबाइल क्षेत्र,...

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