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न्याय के प्रप्रतिनिधियों को न्याय नहीं

गांवों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी. छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गांवों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो. इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया. राज्य में इसके प्रप्रतिनिधि भी हजारों की संख्या में चुने गये. पंच-सरपंच संघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष आमोद...

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धूम्रपान पर कर से बच सकती है 90 लाख भारतीयों की जान'

भारत अगर धूम्रपान पर रोक के उपायों के साथ ही तंबाकू पर अधिक कर लगाए तो दिल की बीमारी से अगले दशक में संभावित 90 लाख से अधिक मौतों को रोक सकता है। एक नए अध्ययन में ऐसा कहा गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि धूम्रपान मुक्ति कानूनों और तंबाकू पर कर बढ़ाकर भविष्य में हृदय रोग से होने वाली मौतों पर रोक लगाई जा सकती है। पीएलओएस मेडिसिन पत्रिका में...

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2015 तक दुनिया से 50 फीसदी भुखमरी खत्म करने का लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र ने सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों पर रिपोर्ट 2013 में जताई उम्मीद रिपोर्ट दुनियाभर में भुखमरी से पीडि़त लोगों की संख्या का आंकड़ा अब भी 87 करोड़ है विकासशील देशों में दक्षिण-पूर्वी एशिया तय समय से पहले हासिल करेगा लक्ष्य कैरेबिया, दक्षिण एशिया, सहारा उपमहाद्वीप आदि क्षेत्र लक्ष्य से पिछड़ रहे हैं वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र में दुनियाभर के नेताओं ने तय किए थे मिलेनियम...

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स्वास्थ्य बीमा- मौजूदा चलन और चुनौतियां

The shortfalls of the health system-low levels of public health expenditure, poor infrastructure, lack of skilled human resources, inadequate supply of medicines, poor quality of care, corruption, etc. are not unknown. However, increasingly, health planning and policy discussions are foregrounding corporatization and privatization. Insurance and public private partnerships (PPPs) are the buzzwords that are claimed as pathways to universal health care, improving access to health care, etc. Notwithstanding the various...

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श्रम में खोता बचपन

बाल श्रम हमारे समय की एक दुखद सच्चई है. तरक्की के तमाम दावों के बावजूद आज हम उद्योग-धंधों से लेकर घर के भीतर तक पूरी दुनिया में किसी न किसी रूप में बाल श्रमिकों को देख सकते हैं. इसकी रोकथाम के लिए बेशक कई कानूनी प्रावधान किये गये हों, लेकिन पिछड़े क्या विकसित कहे जाने वाले समाजों तक में लाखों बच्चों का बचपन पेट की भूख मिटाने में दफन हो जाता है. वर्ल्ड...

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