द वायर, 21 नवंबर कर्नाटक के चामराजनगर के हेग्गोतरा गांव में एक दलित महिला द्वारा सामुदायिक पेयजल टैंक से पानी पीने के बाद गांव के ‘उच्च जाति’ के लोगों द्वारा कथित तौर पर टैंक का पूरा पानी निकालकर इसे गोमूत्र से धोकर ‘शुद्ध’ करने का मामला सामने आया है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, घटना बीते 18 नवंबर को दलित समुदाय के एक शादी समारोह में हुई. शादी में...
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अब तक 268.80 लाख हेक्टेयर में बोई गईं रबी की फसलें, गेहूं-सरसों का रकबा सबसे अधिक
कृषि जागरण, 19 नवम्बर रबी सीजन 2022 के पहले 45 दिनों में रबी फसलों का बुवाई क्षेत्र में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बुवाई के संबंध में ये रकबा पिछले सीजन की इस अवधि तक कई अधिक है. हालांकि किसानों को बीज, खाद की समय पर उपलब्धता और फसलों के अनुकूल को मौसम इस फसल सीजन में गेहूं, सरसों और चना के वास्तविक उत्पादन का निर्धारण करेंगे. 18 नवंबर तक जारी...
More »मधुमक्खियों पर दिखने लगा वायु प्रदूषण का असर, खेती पर भी आएगा संकट
मोंगाबे हिंदी, 17 नवम्बर वायु प्रदूषण को लेकर देश के कुछ महानगर और औद्योगिक शहरों की चर्चा होती है, जहां प्रदूषण का स्तर मानक से काफी अधिक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रदूषण के मानक से कम प्रदूषित इलाकों में भी वायु प्रदूषण का खतरनाक असर देखा जा रहा है? वैज्ञानिकों के हालिया शोध में सामने आया है कि अपेक्षाकृत कम प्रदूषित शहरों में यह असर मधुमक्खियों पर दिख...
More »टीबी कब हारेगा और देश कब जीतेगा ? क्या वर्ष 2030 तक पूरी दुनिया से टीबी रोग का खात्मा हो जाएगा ?
सन् 1962 की बात है। भारत के सैनिक सीमा पर चीनी घुसपैठियों से लड़ रहे थे। तभी एक और जंग देश के भीतर शुरू की गई। यह लड़ाई तपेदिक या टीबी रोग के खिलाफ थीं। चीन से छिड़ी जंग एक महीने के समय अंतराल में अपने अंजाम पर पहुंच गई। पर देश के भीतर टीबी के खिलाफ छेड़ी गई जंग तक़रीबन 60 वर्षों के बाद भी जारी है। आज भी भारत...
More »प्राकृतिक और जैविक खेती में है असीम संभावनाएं
कृषि जागरण, 17 नवम्बर आमतौर पर जब हम कोई पौधा अपने घर के बगीचे में लगाते हैं तो उसकी लगातार देखभाल करते हैं लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जो फल और फूल देने वाले पौधे और पेड़ जंगलों में उगते हैं, उनकी देखभाल कौन करता है? यह प्राकृतिक रूप से कैसे विकसित हो जाते हैं और कैसे फलों और फूलों से लद जाते हैं. यह जंगल के पशु पक्षियों...
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