वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उभरते एवं स्थापित लोकतांत्रिक देशों से आग्रह किया है कि उन्हें अपनी सरकारों को अधिक पारदर्शी बनाना चाहिए। इस संदर्भ में ओबामा ने भारतीय गांवों का उदाहरण दिया, जहां की आवाजें सूचना प्रौद्योगिकी के नए उपकरणों के माध्यम से ऊपर तक सुनी जा रही है। ओबामा ने कहा कि अमेरिका भी एक नया ऑनलाइन उपकरण लांच करेगा, जिसके माध्यम से अमेरिकी नागरिक अपनी...
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भूकंप प्रभावित इलाकों में अभी नहीं पंहुचा राहत दल
नयी दिल्लीः भूकंप के बाद राहत के लिये भेजे गये राष्ट्रीय आपदा प्रतिकिया दल (एनडीआरएफ़) के 400 कर्मचारी और 20 डॉक्टर भूस्खलन से सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण प्रभावित इलाकों में अभी तक नहीं पहुंच पाये हैं. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली से रवाना हुआ एनडीआरएफ़ के 200 सदस्यों का दल अभी पश्चिम बंगाल के बागडोगरा तक ही पहुंचा है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि सड़क मार्ग...
More »पूर्वोत्तर में पिछले दो दशक का सबसे शक्तिशाली भूकंप
शिलांगः देश के पूर्वोत्तर राज्य कल 6.8 तीव्रता वाले शक्तिशाली भूकंप से हिल उठे. अधिकारियों ने बताया कि पिछले बीस साल में इस भाग में आया यह अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप है. मेघालय की राजधानी शिलांग स्थित केंद्रीय भूगर्भ वेधशाला के रिकॉर्डों में इस क्षेत्र में हो रही भूगर्भीय हलचल को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है. आकंड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में साल 2009 में जहां हल्के...
More »अनरियल एस्टेट- हिमांशु शेखर(तहलका)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले विकास चौहान जब करीब एक दशक पहले दिल्ली आए तो उनके कई सपनों में से एक यह भी था कि देश की राजधानी में उनका एक अपना आशियाना हो. नौकरी मिली और आमदनी बढ़ने लगी तो उन्होंने अपने इस सपने को पूरा करने की कोशिश शुरू कर दी. प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों की वजह से दिल्ली में तो कोई मकान उन्हें अपने बजट...
More »गोदान : किसान की शोकगाथा--- . गोपाल प्रधान
‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
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