पटना राज्य में भीड़ द्वारा किसी कथित अपराधी को पीट- पीट कर मार डालने के लगातार हादसे, समाज के बर्बर दौर में लौट जाने के भी कई संदर्भ खोलतेहै। यह विधि-व्यवस्था से मोहभंग और जीवन के विभिन्न मोर्चो पर अपनी असहायता का नकारात्मक और 'नपुसंक क्रोध' भी हो सकता है जो भीड़ में घिरे किसी शख्स पर जहां- तहां बरस जाता है। उन्मादी...
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केंद्र कर सकता है एएफएसपीए में संशोधन
नई दिल्ली। फर्जी मुठभेड़ों की खबरों पर आलोचना का सामना कर रही सरकार सेना के विरोध के बावजूद सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम [एएफएसपीए] में कुछ संशोधनों की योजना बना रही है, जिसके तहत गलत तरीके से की गई हत्या के आरोपी जवान को प्रदेश अधिकारियों को सौंपने की भी बात शामिल है। सरकारी सूत्रों का मानना है कि इस अधिनियम पर एक बार फिर नजर डालने और इसे और...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
More »जहर का कारोबार- वंदना शिवा
भोपाल गैस त्रासदी मनुष्य जाति के इतिहास का भयावहतम औद्योगिक हादसा था, लेकिन इसके शिकार हुए लोगों के साथ हुआ अन्याय भी किसी त्रासदी से कम नहीं है। यूनियन कार्बाइड में ‘काराबिल’ नामक कीटनाशक बनाया जाता था, जिसका इस्तेमाल मुख्यत: कपास की खेती में होता है। गैस त्रासदी के बाद ही मैंने निश्चय किया था कि मैं जैविक खेती को बढ़ावा देने की कोशिश करूंगी और यही विचार ‘नवधान्य’ की...
More »जन को गन का भय
गया [कमल नयन]। देश की स्वतंत्रता को आमजनों की स्वतंत्रता 'न मानने वाले' नक्सली संगठनों ने चालू वर्ष में 'जन' को ज्यादा परेशान किया। यह परेशानी बंद के दौरान उनके समर्थन में नहीं बल्कि 'गन' के भय से होती है। खासकर सूबे के बंद के दौरान गया जिले का शेरघाटी अनुमंडल सर्वाधिक प्रभावित होता है। अगर इसे आर्थिक रूप से देखा जाए तो जिले का सबसे कमजोर इलाका बार-बार की...
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