कल्पना करें कि बड़े पैमाने पर सर्वर डाउन या पॉवर फेल की स्थिति में क्या होगा? या अगर विध्वंसक इरादों वाले किन्हीं उन्मादियों ने डिजिटल तंत्र पर कब्जा कर लिया तो क्या परिणाम होंगे? डिजिटल क्रांति के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र उत्पादन के स्थान पर वितरण की ओर खिसक रहा है। पहले एक अच्छी खबर : डिजिटल क्रांति अभी शुरू ही...
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अवैध खनन मामला : अदालत ने आईएएस अधिकारी की जमानत रद्द की
हैदराबाद, दो जनवरी (एजेंसी) आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी :ओएमसी: मामले के आरोपियों में से एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी की जमानत आज रद्द कर दी। हैदराबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने श्रीलक्ष्मी को सशर्त जमानत दी थी। श्रीलक्ष्मी को कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी के स्वामित्व वाली ओएमसी को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोप में गत...
More »डॉक्टरों का वादा, अब नहीं करेंगे हड़ताल
जयपुर, 2 जनवरी (एजेंसी)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नए साल पर चिकित्सक एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि वे अपनी मांगों को पूरा करने के लिए भविष्य में कभी हड़ताल का सहारा नहीं लेंगे। गहलोत से रविवार को यहां मिले सेवारत व रेजीडेंट चिकित्सकों के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास है। मुख्यमंत्री ने सभी चिकित्सकों का मुंह मीठा करा कर उन्हें नए...
More »खुदरा खैर करे- सुधीरेंद्र शर्मा(तहलका,हिन्दी)
रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. मगर क्या यह हमारे हर मर्ज की दवा है जैसा कि सरकार हमें समझाती रही है? सुधीरेंद्र शर्मा का आकलन जाकी रही भावना जैसी एफडीआई देखी तिन तैसी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर छिड़ी राजनीतिक रस्साकशी ने तुलसीदास की इन पंक्तियों को पुनः सार्थक किया है. एकल ब्रांड कारोबार में 51 और मल्टी-ब्रांड कारोबार में 100...
More »बारहवीं योजना में स्वास्थ्य राम प्रताप गुप्ता
पिछले दिनों सरकार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण पत्र जारी किया। आर्थिक विकास की ऊंची दर के बावजूद आम जनता विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। इसका प्रमुख कारण यही है कि आज भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय आय का मात्र 1.2 प्रतिशत खर्च किया जाता है। नतीजतन लोगों को चिकित्सा व्यय का अधिकांश स्वयं वहन करना पड़ता है, जो उन्हें गरीबी रेखा से नीचे धकेल रहा है। सार्वजनिक...
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