संसद का सत्र लोक-अपेक्षाओं को पूर्ण करने का एक मंच होता है। संवैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही सरकार संविधान में संशोधन, परिवर्धन और परिवर्तन करती है। विपक्ष भी जन-आकांक्षाओं पर सरकार को काम करने के लिए बाध्य करने का एक माध्यम है। पर कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण विपक्ष की यह भूमिका फिलहाल कमजोर हुई दिखती है। लगभग सत्रह हजार नागरिकों ने अपने हस्ताक्षरों के साथ अपील जारी की...
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पीएम मोदी के बिहार विशेष पैकेज में छेद ही छेद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए विशेष पैकेज का ऐलान कर सियासत को हवा दे दी है। मगर उनके इस पैकेज में कई छेद रह गए हैं। कई योजनाओं की राशि को विशेष पैकेज के रूप में परोस दिया गया है, जोकि पहले से ही घोषित थी। ऐलान की राशि को लेकर समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कितने समय...
More »कैसे रुके संसद में पक्ष-विपक्ष का टकराव? - जगदीप एस. छोकर
संसद के मानसून सत्र में हुए हंगामे और सत्ता-पक्ष और विपक्ष में बढ़ते टकराव से देश बेहद चिंतित है। संसद के पचास साल पूरे होने पर पीए संगमा की अध्यक्षता में हर दल और समूह की सहमति से निर्णय किया गया था कि प्रश्नकाल में व्यवधान पैदा नहीं किया जाएगा। आजादी के 68 साल पूरे होने पर कम से कम यही एक संकल्प सांसद करें तो संसदीय लोकतंत्र में सुधार...
More »हवाओं के रुख को बताता मोदी का भाषण - के. बेनेडिक्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार का स्वतंत्रता दिवस का भाषण यूं तो हमेशा की तरह उनकी वक्तृत्व शैली और श्रोताओं से जुड़ने की उनकी क्षमता की ही एक और बानगी था, लेकिन इस बार का भाषण उनके कई समर्थकों को शायद इसलिए निराशाजनक लगा हो, क्योंकि उसमें पर्याप्त सामग्री नहीं थी। कइयों को उसमें महत्वपूर्ण बातों के बजाय दोहराव और पीआर संबंधी कवायद अधिक लगी। अलबत्ता उन्होंने इस अवसर...
More »प्राइवेसी के प्रश्न पर अटका ‘आधार--’ विराग गुप्ता
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अगस्त को पारित आदेश से आधार को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अनिवार्य बनाने से इनकार कर दिया है। केंद्र द्वारा 1954 के पुराने निर्णय पर जोर देने से निजता के अधिकार की व्यापक समीक्षा के लिए मामले को नौ न्यायाधीशों की संविधान खंडपीठ को भेजने का निर्णय भी आया। इसके पूर्व 24 मार्च 2014 के एक अन्य आदेश से सर्वोच्च न्यायालय ने आधार...
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