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लॉकडाउन चेकअप: सर्वेक्षण ने झारखंड सरकार के राहत योजनाओं में गंभीर खामियां उजागर की

- भोजन का अधिकार अभियान, झारखण्ड, अप्रैल 2020 के पहले सप्ताह में भोजन के अधिकार अभियान, झारखंड के सदस्यों ने राज्य के मूल जन सुविधाओं (जैसे राशन दुकान, आंगनवाड़ी, बैंक, दाल-भात केंद्र, आदि) की स्थिति का एक सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण में पाए गए तथ्यों का एक संक्षिप्त सारांश संलग्न है. 19 ज़िलों के 50 प्रखंड से प्रेक्षकों ने फ़ोन के माध्यम से अपने क्षेत्र की जानकारी दी. स्थिति काफी चिंताजनक है: इस संकट...

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राजस्थान: दर-बदर रहने वाले घूमंतु समुदाय भुगत रहे हैं लॉकडाउन का खामियाज़ा

-द वायर,  मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले 300 से ज्यादा घूमंतु समुदाय के लोग महीने भर पहले ही जैसलमेर के फतेहगढ़ क्षेत्र में जीरा कटाई के लिए आए थे. हर साल की तरह थोड़ी मजदूरी मिलने लगी थी कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई. गुना से करीब 900 किमी सफर कर मजदूरी करने आए ये लोग यहीं फंस गए. पांच दिन जमा राशि खर्च कर मदद का...

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बीमार की बीमारी: भारत, वायरल रोगों का सबसे बड़ा शिकार

-इंडिया टूडे, भारत में स्वाइन फ्लू के ताजा इतिहास पर नजर डालनी चाहिए ताकि हम समझ सकें कि कोरोना या कोविड-19 हमारा क्या हाल कर सकता है, जहां का स्वास्थ्य ढांचा वियतनाम और ब्राजील से भी पिछड़ा है. स्वाइन फ्लू इक्कीसवीं सदी की पहली घोषित आधुनिक महामारी थी. भारत में 2009 से 2019 के बीच स्वाइन फ्लू से 10,614 मौतें हो चुकी हैं और 1.37 लाख लोग बीमार हुए. यह तबाही अभी...

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सामाजिक असमानताओं के कुचक्र में फंसा 'डिजीटल इंडिया' का सपना

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...

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यूपी: राशन के लिए चार-पांच दिन चक्‍कर लगा रहे लोग, ई-पॉश मशीन हो रही फेल

''अरे राशन का मत पूछो, बहुत परेशानी है! जब से अंगूठा लगाकर राशन मिलने लगा है, हमें राशन के लिए कई चक्‍कर लगाने पड़ते हैं। कई बार तो राशन लेने के चक्‍कर में भूखे तक रहना होता है। अब दिन में मजदूरी पर भी नहीं गए और न ही राशन मिल पाया, तो चूल्‍हा कैसे जलेगा?'' यह सवाल करते हुए 35 साल की अनीता की आंखों में बेबसी साफ नजर...

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