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कांके के दो परिवारों का समाज से बहिष्कार

कांके (रांची)। कांके में रविवार को सरना महापंचायत ने कड़ा निर्णय लेते हुए समाज के दो महत्वपूर्ण परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया। दोनों पर गैर-आदिवासी मुस्लिम समाज के साथ रिश्तेदारी जोड़ने का आरोप लगाया गया। बहिष्कृत परिवारों में कांके सरना समिति के संस्थापक शिव शंकर उरांव और इस्लाम धर्म अपनाने वाले ग्राम प्रधान का परिवार शामिल हैं। ग्राम प्रधान को पद से भी हटा दिया गया है। पहले मामले में कांके सरना...

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गांव की समृद्धि के लिए वृद्धा की बलि

लातेहार। दुनिया भले ही चांद पर जा रही हो, मंगल पर लोगों को बसाने का सपना देखा जा रहो हो, लेकिन धरती के कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां धर्म के नाम पर हैवानियत हावी है। जी हां, यह अविश्वसनीय, लेकिन सच है। सदर प्रखंड के खैराखास गांव में सुख-समृद्धि के लिए बैगा पाहनों ने 65 वर्षीया वृद्धा बूदनी मसोमात की बलि दे दी। घटना बीते आठ अप्रैल की है, लेकिन इसका खुलासा बारह दिन बाद...

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सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्‍त गिराये जाएंगे- अरुंधति रॉय

दंतेवाड़ा को समझाने के कई तरीके हो सकते हैं। यह एक विरोधाभास है। भारत के हृदय में बसा हुआ राज्यों की सीमा पर एक शहर। यही युद्ध का केंद्र है। आज यह सिर के बल खड़ा है। भीतर से यह पूरी तरह उघड़ा पड़ा है। दंतेवाड़ा में पुलिस सादे कपड़े पहनती है और बागी पहनते हैं वर्दी। जेल अधीक्षक जेल में है, और कैदी आजाद (दो साल पहले शहर की पुरानी जेल से करीब 300...

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शिक्षा है अनमोल रतन पढ़ने का सब करो जतन

रातू [चंद्रशेखर उपाध्याय]। सब पढ़ें, सब बढ़ें, यह उनकी दिली ख्वाहिश है। सो, सारी उम्र लगा दी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में। वह कहते हैं, शिक्षा अनमोल रत्न है, पढ़ने-पढ़ाने का यत्न सभी को करना चाहिए। अलबत्ता, जीवन में ऐसे दिन भी आते हैं, जब हम हताश हो जाते हैं, परंतु यह परीक्षा की घड़ी होती है। हम बात कर रहे हैं रातू चट्टी के डा लक्ष्मण उरांव की, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों में मुकाम हासिल...

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..मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को

गया [प्रभंजय कुमार]। पेट-पीठ दोनों मिलकर एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को..महाकवि निराला की यह पंक्तियां गया जिले के ईट-भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बीच आज भी चरितार्थ हो रहीं हैं। कंपकंपाती सर्दी हो या तपती दुपहरिया, मेहनतकश मजदूरों को हर वक्त दो जून की रोटी की ही चिंता सताती रहती है। ईटों की पथाई करते-करते इनके जिस्म फौलाद की तरह भले ही कठोर हो चुके हों, लेकिन अभावों...

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