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बिहार में बालू के बढ़ते खनन से बिगड़ती नदियों की सेहत, बढ़ता अपराध सरकार के लिए चुनौती

मोंगाबे हिंदी, 24 जनवरी  दक्षिण बिहार के जमुई जिले के आखिरी छोर पर स्थित गरही थाने में तैनात दारोगा प्रभात रंजन 14 नवंबर 2023 को अवैध बालू उठाव की एक गुप्त सूचना के बाद सुबह-सुबह थाने से करीब पांच किमी दूर किउल नदी के तट पर स्थित चनरवर गांव पहुंचे। स्थानीय लोगों के अनुसार, वहां से प्रभात रंजन 1.5 किमी अंदर की ओर गए। वहां उन्हें व उनके सहयोगी पुलिसकर्मी राजेश...

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मशीनों से की जा रही अंधाधुंध खेती से संकट में पड़े स्टेपी और लिटिल बस्टर्ड पक्षी

डाउन टू अर्थ, 24 जनवरी  मानवजनित कारणों से लुप्तप्राय स्टेपी-लैंड पक्षी और लिटिल बस्टर्ड को बचाने के लिए वैज्ञानिक, किसान और संरक्षणकर्ताओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आवासों में कमी, सिंचाई में वृद्धि और शहरीकरण के कारण सतही क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस कमजोर प्रजाति के अस्तित्व के लिए अहम हैं। जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिटिल बस्टर्ड की सबसे अधिक खतरे...

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हमें रोजमर्रा की जिंदगी के लिए मौसम पूर्वानुमान को मुख्यधारा में लाना चाहिए: आईएमडी प्रमुख

इंडियास्पेंड, 24 जनवरी वर्ष 2023 प‍िछले 100,000 की अपेक्षा सबसे गर्म वर्ष रहा। पृथ्‍वी के लगभग सभी महाद्वीप पर गर्मी के रिकॉर्ड टूट गए। सेंटर फॉर साइंस के एक र‍िपोर्ट के अनुसार भारत ने 2023 के पहले नौ महीनों में 273 से 235 दिन (86% से थोड़ा अधिक) में अत‍िव‍िषम मौसम रहा। गर्मी और ठंडी लहरों, चक्रवात और बिजली से लेकर भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन तक, पर्यावरण के साथ हर...

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असमः तेल कुएं में विस्फोट के तीन साल बाद पुराने रूप में लौट रही मगुरी मोटापुंग बील

मोंगाबे हिंदी, 24 जनवरी  असम में 27 मई,  2020 को आर्द्रभूमि मगुरी मोटापुंग बील के पास बागजान में ऑयल इंडिया लिमिटेड के मालिकाना हक वाले तेल क्षेत्र में गैस रिसाव हुआ। इस वजह से 9 जून, 2020 को विस्फोट हुआ। इसे बुझाने में 173 से ज्यादा दिन लगे। विस्फोट से क्षेत्र में प्राकृतिक चीजों को गंभीर नुकसान हुआ। इस विस्फोट के तीन साल बाद  पारिस्थितिकी तंत्र के पुराने रूप में बहाल होने...

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खतरे में खाद्य उत्पादन, बढ़ते तापमान से भारत में 73 फीसदी तक घट सकती है किसानों की श्रम उत्पादकता

डाउन टू अर्थ, 22 जनवरी   कहते हैं जब किसान का पसीना धरती पर गिरता है तो दाना उपजता है, जो धरती पर करोड़ों लोगों का पेट भरता है। इसमें शक नहीं की खेती-किसानी बड़ी मेहनत का काम है। इसके लिए किसानो को तपती गर्मी, बारिश और हाड़ गला देने वाली सर्दी की परवाह किए बिना जूझना पड़ता है। लेकिन बढ़ता तापमान देश के इन मेहनतकश किसानों को भी आजमा रहा है। इसका...

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