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पीएम मोदी ने नीति आयोग का किया पुनर्गठन, अमित शाह होंगे पदेन सदस्य

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नीति आयोग के पुनर्गठन को मंजूरी दी. यहां जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार डॉ राजीव कुमार को फिर से उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि गृहमंत्री अमित शाह पदेन सदस्य होंगे. प्रधानमंत्री आयोग के अध्यक्ष होते हैं. आयोग के पदेन सदस्यों में शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण, कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास...

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वित्तमंत्रालय ने नई सरकार के लिए 100 दिन का अजेंडा तैयार किया

नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय ने नई सरकार के लिए 100 दिन का एजेंडा तैयार कर लिया है। इकोनॉमी की रफ्तार बढ़ाने के तहत यह एजेंडा तैयार किया गया है। 2018-19 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ फिसलकर 6.6% पर आ गई। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि निजी निवेश, रोजगार बढ़ाना और फार्म सेक्टर को राहत पहुंचाना भी सरकार का प्रमुख एजेंडा होगा। इनके साथ ही...

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क्या राष्ट्र की चिंताओं और विमर्श से आदिवासियों को अधिकारिक तौर पर बाहर कर दिया गया है?- ईश्वर सिंह दोस्त

तेईस लाख से ज्यादा आदिवासियों के सिर पर हफ्ते भर से टंगी बेदखली की तलवार चार महीनों के लिए हटा ली गई है. जिस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह टंगी थी उसी ने इसे फिलवक्त किनारे कर दिया. केंद्र सरकार इस मामले की पिछली चार सुनवाइयों से रहस्यमय ढंग से गायब थी. मगर चुनाव के ऐन पहले आदिवासियों को उजाड़ने से उनके वोटों से भी बेदखल होने की संभावना को...

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तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा

महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...

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वैश्विक मंदी के संकेत देता अमेरिका- अजीत रानाडे

वर्ष 2018 का आगाज आर्थिक वृद्धि के लिए एक बड़े आशावाद के साथ हुआ. साल 2017 के समापन ने भी साल की वास्तविक वृद्धि को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्वानुमानों से आगे पहुंचा दिया था, जबकि इसके पहले के छह वर्षों के दौरान प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में उसके द्वारा घोषित वार्षिक पूर्वानुमानों को लगातार नीचे लाने की जरूरत पड़ती रही, क्योंकि वास्तविक वृद्धि उन पर कभी खरी नहीं उतर...

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