SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 617

पंचतत्व: विकास को संतुलन चाहिए और चैनलों को विज्ञान रिपोर्टर वरना ग्लेशियर ‘टूटते’ रहेंगे!

-जनपथ, इंसान होने के नाते हम सबकी कुछ ज़रूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाना है. आखिर, उत्तराखंड, हिमाचल और ओडिशा की जनता को भी वही सुख-साधन क्यों नहीं चाहिए जो दिल्ली में रहने वालों को मुहैया हैं? विकास नाम के लुभावने वादे में निचाट गरीबी से निपटने की चुनौती छिपी है और इसमें संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का खतरा भी है.  संतुलन साधा जा सकता है, बस नजरिया सही होना चाहिए. न...

More »

महिला किसान दिवस: खेत से लेकर सड़क तक आवाज़ बुलंद करती महिलाएं

-न्यूजक्लिक, यूं तो महिला किसान दिवस की अपनी एक अलग अहमियत है लेकिन आज हज़ारों महिला किसान, जो देश की राजधानी की सीमाओं पर डटी हुई हैं उन्होंने इसकी अलग ही परिभाषा गढ़ दी है। वो ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन की महज़ समर्थक ही नहीं बल्कि उसमें बराबर की भागीदार भी हैं। वो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने हक़ की लिए लड़ाई लड़ रही हैं, नारे लगा रही हैं...

More »

कोविड-19 के बाद आर्थिक असमानता की ओर देश के बढ़ते कदम!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा अक्टूबर 2020 में जारी द वर्ल्ड इकोनोमिक आउटलुक नामक छमाही प्रकाशन ने अनुमान लगाया है कि 1990 के दशक के बाद से देशों द्वारा गरीबी को कम करने के लिए की गई आर्थिक प्रगति सर्वव्यापी महामारी कोविड -19 से प्रभावित हुई है. यह तय है कि कोविड-19 के बाद भी आर्थिक असमानता में बढ़ोतरी होगी क्योंकि संकट ने महिलाओं, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों और कम...

More »

लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

More »

कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया।  हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close