अदालतों के आदेश की आलोचना से मैं अकसर परहेज़ करता हूं। इसलिए नहीं कि अदालत का आदेश हमेशा सही लगता है। इसलिए भी नहीं कि अदालत की अवमानना डराती है। बल्कि इसलिए कि लोकतंत्र के खेल में किसी रेफ़री के आदेश का सम्मान तो करना पड़ेगा। रेफ़री मेरी पसंद का आदेश दे तो उसे सर -आंखों पर बैठाऊं, नहीं तो उसे आंखें दिखाऊं-ऐसे तो नहीं चल सकता। इसलिए कई बार...
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सर्वे: UP के बाद राजस्थान में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार
नई दिल्ली। दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में महिलाओं के साथ दुष्कर्म और यौन अपराधों के मामले सबसे ज्यादा रहते हैं और इस मामले में जनसंख्या अनुपात के लिहाज से गोवा की स्थिति सबसे खराब है जबकि अपराधों की संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश पहले नबंर पर है। अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ओर से जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार गोवा में प्रति एक लाख...
More »अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण
बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...
More »विकास और जाति का गणित- नीलांजन मुखोपाध्याय
एक बात पर आम सहमति है कि बिहार विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी अहम होगा। चूंकि विभिन्न कारणों से केंद्र सरकार को कई नाकामियों का सामना करना पड़ा है, इसलिए बिहार के चुनाव में जीत उन्हें उससे उबरने में मदद कर सकती है। इसके विपरीत, अगर बिहार में भाजपा का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहता, तो नीतिगत पंगुता की स्थिति पैदा होगी और प्रधानमंत्री मोदी की छवि...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
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