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‘पहले बच्चा पढ़ेगा, तब न बड़ा होके हाय-फाय चलायेगा’--

कहानी बिहार के पहले वाइ फाइ गांव बेलदारीचक की पुष्यमित्र बेलदारीचक (पटना) pushyamitra@prabhatkhabar.in जैसे ही इस संवाददाता ने तसवीर ली विनोद कुमार दौड़े-दौड़े आये. उनकी सहज जिज्ञासा थी कि उनकी दुकान की तसवीर क्यों ली जा रही है. जब उन्हें बताया गया कि उनकी दुकान की तसवीर नहीं बल्कि दुकान के पीछे लगे बीएसएनएल के टावर की तसवीर ली गयी है, जिसमें वाइ-फाइ वाली मशीन लगी है. यह सुनकर ठीक-ठाक पढ़े लिखे...

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सब्सिडी : कल्याण या राजनीति? मुफ्तखोरी के दुष्चक्र में फंसता देश

ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...

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‘ढीले नियम से फल-फूल रही हैं शिक्षा की दुकानें

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की समिति ने कहा है कि ‘ढीले और भ्रष्ट' व्यवस्था से निजी कॉलेज फल-फूल रहे हैं। जिनका शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है उन पैसेवाले प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में ये खराब ढांचावाले कॉलेज चल रहे हैं। समिति ने कहा है कि ‘शिक्षा की ऐसी दुकानों' पर पाबंदी लगाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। शिक्षा मंत्रालय की समिति ने नई शिक्षा नीति बनाने...

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सिमटते सहारे-- रवि राठौर

यों कमजोर और कम संख्या वाले समुदायों की सुविधा-असुविधा का खयाल रखने को समाज अपनी प्राथमिकता नहीं मानता, लेकिन हाशिये पर मौजूद लोग भी इसी समाज और व्यवस्था का हिस्सा होते हैं, जिनकी जरूरतें आधुनिकता की चकाचौंध में कई बार दरकिनार कर दी जाती हैं। मौजूदा दौर को मोबाइल क्रांति का युग माना जा रहा है और यह धारणा आम है कि एक गरीब व्यक्ति भी आज मोबाइल का उपयोग...

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सफल नहीं होती शराबबंदी-- आकार पटेल

मशहूर समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध की तरह ही शराबबंदी भी एक सांस्कृतिक कार्य है. श्रीनिवास के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के लिए जो भी औचित्य गिनाये जायें, लेकिन हकीकत में इसके पीछे ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी सोच है. हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ही दिन 24 नवंबर, 1948 को इन दोनों मुद्दों पर बहस की थी. मैं यहां यह तथ्य...

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