आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
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प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती- सुभाष शर्मा
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »जलवायु परिवर्तन से पक्षियों के अस्तित्व पर खतरा
भारत सहित एशियाई पक्षियों की प्रजाति के अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन से बडा खतरा मंडरा रहा है. एक नये अध्ययन में इन खतरों के बारे में आगाह किया गया है. डरहम विश्वविद्यालय और बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने अपने अध्ययन में कहा है कि जलवायु परिवर्तन से इस क्षेत्र में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को नुकसान झेलना पड सकता है. हाल में पत्रिका ‘ग्लोबल चेंज बॉयोलोजी’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कुछ चरम मामलों...
More »संपूर्ण सत्याग्रह का अर्थ- श्री भगवान सिंह
जनसत्ता 2 अक्टुबर, 2012: महात्मा गांधी ने दुनिया को कोई नया वाद या सिद्धांत देने का दावा नहीं किया। उन्होंने तो अपने आचरण से वह मार्ग दिखाया जिस पर चल कर समस्त प्राणियों की हित-साधना की जा सकती है। इसीलिए उन्होंने कहा कि ‘मेरा जीवन ही संदेश है।’ तब प्रश्न यह आता है कि इस संदेश या मार्ग को किन शब्दों के सहारे समझा जाए? जहां तक मैंने समझा है,...
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