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अरुणाचल प्रदेश की सैंक्चरी में घास के मैदान घटने से स्थानीय पक्षियों पर खतरा

 मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च जून की उमस भरी दोपहर में ऊपरी असम के धेमजी जिले के जोनाई शहर के बाहरी इलाकों में बाढ़ का सर्वे करते हुए नामाश पसार ने बढ़ते पानी में कुछ भटकता हुआ देखा। जब वह चीज पास आई तो उन्होंने पाया कि यह एक जीवित जानवर था। अपने साथ खड़े दो अन्य लोगों की मदद से नामाश ने उसे बह जाने से बचा लिया। वह उसे वन...

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पश्चिम बंगाल के दक्षिण-मध्य में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक

मोंगाबे हिंदी, 07 मार्च इसी साल 15 फरवरी को पश्चिम बंगाल के वन विभाग के अधिकारियों ने एक शख्स को पश्चिम बंगाल के मध्य में स्थित मुर्शिदाबाद जिले के 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैले पाटन बील वेटलैंड से निकलकर साइकिल पर जाते समय गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने एक नायलॉन बैग में इसके पास से तीन प्रवासी पक्षी बरामद किए जिन्हें वह एक ‘ग्राहक’ को देने जा रहा था।...

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नेपाल में कबूतरों के बड़े झुंड को लेकर क्यों हैरान हैं शोधकर्ता

मोंगाबे हिंदी, 27 फरवरी नेपाल में तीन शोधकर्ता, हीरूलाल डंगौरा, विक्रम तिवारी और शुभम चौधरी, दिसंबर 2022 में नेपाल के पश्चिमी मैदानी इलाकों में गिद्धों की एक कॉलोनी पर नियमित शोध कर रहे थे। उन्होंने यहां एक असाधारण दृश्य देखा: कबूतरों का एक विशाल झुंड। आसमान में फैले झुंड ने भूरे और सफेद रंग का एक गतिशील कैनवास बनाया। शोधकर्ताओं ने याद करते हुए कहा कि हवा पंखों की लयबद्ध फड़फड़ाहट...

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मशीनों से की जा रही अंधाधुंध खेती से संकट में पड़े स्टेपी और लिटिल बस्टर्ड पक्षी

डाउन टू अर्थ, 24 जनवरी  मानवजनित कारणों से लुप्तप्राय स्टेपी-लैंड पक्षी और लिटिल बस्टर्ड को बचाने के लिए वैज्ञानिक, किसान और संरक्षणकर्ताओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आवासों में कमी, सिंचाई में वृद्धि और शहरीकरण के कारण सतही क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस कमजोर प्रजाति के अस्तित्व के लिए अहम हैं। जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिटिल बस्टर्ड की सबसे अधिक खतरे...

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असमः तेल कुएं में विस्फोट के तीन साल बाद पुराने रूप में लौट रही मगुरी मोटापुंग बील

मोंगाबे हिंदी, 24 जनवरी  असम में 27 मई,  2020 को आर्द्रभूमि मगुरी मोटापुंग बील के पास बागजान में ऑयल इंडिया लिमिटेड के मालिकाना हक वाले तेल क्षेत्र में गैस रिसाव हुआ। इस वजह से 9 जून, 2020 को विस्फोट हुआ। इसे बुझाने में 173 से ज्यादा दिन लगे। विस्फोट से क्षेत्र में प्राकृतिक चीजों को गंभीर नुकसान हुआ। इस विस्फोट के तीन साल बाद  पारिस्थितिकी तंत्र के पुराने रूप में बहाल होने...

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