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'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ फिर उनसे झाड़ू पोंछा कराओ'

राजस्थान सरकार की एक मासिक पत्रिका में स्वस्थ रहने के लिए महिलाओं को आटा चक्की चलाने और घर में झाड़ू पोंछा करने का सुझाव देने पर विवाद हो गया है. सरकार की शिक्षकों के लिए निकलने वाली पत्रिका 'शिविरा' में स्वस्थ रहने के सरल उपाय प्रकाशित किए गए हैं. इन्हीं में सुझाव दिया गया है, "स्त्रियां चक्की पीसना, बिलौना बिलोना, पानी भरना, झाड़ू-पोंछा लगाना आदि घर के कामों में भी अच्छा व्यायाम...

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पर्यावरण संरक्षण की मुश्किलें-- पंकज चतुर्वेदी

जिस तरह देश की आबादी बढ़ रही है, हरियाली और खेत कम हो रहे हैं, जल-स्रोतों का रीतापन बढ़ रहा है, हम हर दिन वनस्पति और जंतुओं की किसी न किसी प्रजाति को सदा के लिए खो रहे हैं, खेत और घर में जहरीले रसायनों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, भीषण गरमी से जूझने में वातानुकूलित यंत्र और अन्य भौतिक सुखों की पूर्ति के लिए बिजली का इस्तेमाल बढ़ रहा...

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भूख नहीं जानती सब्र-- संजीव पांडेय

दुष्यंत कुमार का शेर है : भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल संसद में है जेरे-बहस ये मुद्दआ। शायर इसमें हुक्मरानों की खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि वह जानता है कि भूख सब्र नहीं जानती। इसके बावजूद हमारी व्यवस्था गरीबों का इम्तहान लेती रहती है। महज कुछ दिनों के अंतर पर ही झारखंड में भूख से तीन मौतें हुर्इं; उस राज्य में जो खनिज संसाधनों...

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जान ले रही एक अफवाह -- आशुतोष चतुर्वेदी

जब एक अफवाह लोगों की जान लेने लगे, तो मान लेना चाहिए कि अब पानी सर से ऊपर बह रहा है और समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें इसमें हस्तक्षेप करें, इसके खिलाफ जागरूकता अभियान चलायें. ऐसा कहा जाता है कि अफवाहों के पंख होते हैं, ये उड़ती हैं. इनकी गति इतनी तेज है कि एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमाओं को लांघते इन्हें समय नहीं...

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ओडीएफ घोषित पंचायतों का हाल : अब भी 25% लोग कर रहे खुले में शौच

पटना : पटना जिले की आबादी 2011 की जनसंख्या के मुताबिक 58 लाख 38 हजार 465 है, जिनमें से अाधी से अधिक आबादी अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर है. कई लोगों के पास जमीन नहीं है, तो कई लोग आर्थिक रूप से शौचालय निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं. सरकारी योजनाओं में शौचालय निर्माण की बात जोर-शोर से की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और...

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