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महामारी की आड़ में जनता को जनसुनवाई से महरूम करने की कोशिश?

-न्यूजलॉन्ड्री, लॉकडाउन के समय जनता घर में बंद थी और लाखों मजदूर सड़क पर थे. ऐसे में केंद्र सरकार ने पूर्व में बनाए गए कई नियम-कानूनों में ऐसे संशोधन प्रस्तावित कर दिए जिन्हें यदि वह सामान्य समय में प्रस्तावित करती तो उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ता. इन प्रस्तावित संशोधनों में सबसे महत्वपूर्ण संशोधन है केंद्रीय पर्यावरण ए वंजलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए यानी एनवायरमेंट इंपैक्ट ऐससमेंट)...

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लॉकडाउन का असर मध्यप्रदेश के नवजात बच्चों पर भी, संस्थागत प्रसव में कमी

-डाउन टू अर्थ, मध्यप्रदेश के रीवा जिले के अंसरा गांव में गर्भवती महिला शिवजानकी (26) अपना प्रसव अस्पताल में कराना चाह रही थी। प्रसव पीड़ा से पहले एंबुलेंस बुलाने के लिए उनके पति मिथिलेश कोल ने कई फोन किए, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। थक-हारकर शिवजानकी का प्रसव घर में ही कराने का फैसला हुआ। 21 मई को शिवजानकी ने प्रियांशी को जन्म दिया। कोविड-19 महामारी से लड़ाई के लिए लगे लॉकडाउन...

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एमएसपी से आधे कीमत पर मक्का बेचने को मजबूर किसान

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 से लड़ने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन का असर मक्का किसानों पर देखने को मिल रहा है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दूर, मक्का बेचकर लागत तक नहीं मिल पा रहा है। इस वक्त मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन सिवनी के मोहन सिंह ने कृषि उपज मंडी सिमरिया पर 5 जून तो 1020 रुपए में अपना मक्का बेचा। कमीशन...

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मध्यप्रदेश में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, कोरोना के खिलाफ काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग

-जनज्वार, मध्य प्रदेश में कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में कोरोना से बचाव के लिए तय किए गए सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य मापदंडों का पालन करते हुए प्रदर्शन किया। राजधानी सहित जिला मुख्यालयों पर हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष ओ.पी. कटियार एवं लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया, ‘अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर गुरुवार को महंगाई...

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सहरिया आदिवासी: लॉकडाउन की मार से त्रस्त

इस बार गर्मियों के दिन पूरन के लिए कुछ अलग हैं, इस साल कोई 'फड़' नहीं लगी गांव में. वैसे हर साल इन दिनों में 'फड़' लगती थी और पूरन अपने परिवार सहित तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल जाते थे, इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा नहीं हुआ. पूरन शिवपुरी जिले के कुंवरपुर गांव में रहते हैं, वो सहरिया आदिवासी हैं. इन दिनों वो कुंवरपुर की 'सहराना' बस्ती मे लॉकडाउन...

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