इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू, 23 नवम्बर 1993 के लातूर भूकम्प के बाद एक पायलट परियोजना के तहत एक हजार से अधिक महिलाओं ने पुनर्वास कार्यों के लिए सरकार और अपने समुदायों के बीच सुविधाएं उपलब्ध करवाने वाले के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी। इसके लगभग 30 साल बाद, सामुदायिक उद्देश्यों के लिए महिलाओं को संगठित करने वाले इस मॉडल ने भूकंप, सूनामी, चक्रवात, सूखा और हाल ही में महामारी के दौरान...
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मनरेगा: भारतीय महिलाओं के लिए अंतिम और एकमात्र आय का सहारा
इंडियास्पेंड, 22 नवम्बर चंचल कुमारी का जन्म साल 2002 में हुआ। उस साल राजस्थान सूखाग्रस्त भी था। दो साल से राज्य में पीने या फसल बोने के लिए पानी की भारी कमी थी, मवेशी मर रहे थे। चंचल का परिवार भी भुखमरी के कगार पर था। उनके पिता राजू सिंह एक मजदूर थे। उन्हें काम की तलाश में अपना गांव छोड़ना पड़ा। जैसे-जैसे आजीविका चौपट हुई, रोजगार सृजन कार्यक्रम के लिए...
More »कर्नाटक: दलित महिला के टंकी से पानी पीने के बाद उसे कथित तौर पर गोमूत्र से साफ़ किया गया
द वायर, 21 नवंबर कर्नाटक के चामराजनगर के हेग्गोतरा गांव में एक दलित महिला द्वारा सामुदायिक पेयजल टैंक से पानी पीने के बाद गांव के ‘उच्च जाति’ के लोगों द्वारा कथित तौर पर टैंक का पूरा पानी निकालकर इसे गोमूत्र से धोकर ‘शुद्ध’ करने का मामला सामने आया है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, घटना बीते 18 नवंबर को दलित समुदाय के एक शादी समारोह में हुई. शादी में...
More »अधर में अटकी बिजली परियोजनाओं ने बदला झारखंड के चंदवा का भविष्य
मोंगाबे हिंदी, 14 नवम्बर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर चंदवा कस्बे में प्रवेश करने से पहले एक गेट है। इस पर लिखा है – औद्योगिक नगरी चंदवा में आपका स्वागत है। लेकिन कस्बे के अंदर घुसते ही चारों तरफ हताशा और निराशा दिखाई देती है। एक वक्त था जब यहां दो पावर प्लांट (ताप विद्युत घर) का निर्माण तेजी से हो रहा था। तब ऐसा लगता था...
More »महामारी के काल में 'महिला कर्मी' और उनका 'मेहनताना'
किसी भी शख्स को रोटी, कपड़ा और मकान सहित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। अधिकतर लोग पैसे कमाने के लिए रोजी करते हैं। लेकिन क्या आप ऐसी नौकरी करेंगे जहां आपको मजदूरी ही ना मिले? हमने पिछले न्यूज अलर्ट में ऐसे लोगों की पड़ताल की थी, जिन्हें किसी भी प्रकार का वेतन नहीं मिलता था। इस न्यूज़ अलर्ट में, महामारी के समय में,...
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