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पोषण और अंडे का संघर्ष- ज्यां द्रेज

बच्चों को लेकर भारत में एक बड़ा विरोधाभास दिखायी देता है. एक तरफ, घर में बच्चों को बहुत प्रेम किया जाता है. दूसरी तरफ, लोक-नीति में बच्चों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है. आज भी गरीब बच्चों को न सही शिक्षा मिल रही है, न स्वास्थ्य सुविधा और न ही पोषण. इसके कारण बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में भारत के बाल विकास से संबंधित आंकड़े कमजोर हैं. इससे...

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हकीकत को जानने का नया औजार-- कार्तिक मुरलीधरन

सरकारी दफ्तरों में बैठे हुए हाकिमों को ‘जमीनी हकीकत' जानने में जो समस्या पेश आती है, वह कोई नई नहीं है। इतिहास बताता है कि अशोक से लेकर अकबर तक तमाम सम्राट सच जानने के लिए वेश बदलकर अपने राज्य में घूमा करते थे। आज भी हमारी सरकारों के लिए यह जानना एक बड़ी चुनौती है कि उनकी जन-हितकारी योजनाएं कैसी चल रही हैं? कनिष्ठ अधिकारी अक्सर इन योजनाओं...

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प्रदूषण की राजधानी-- शशिशेखर

इस साल की शुरुआत में जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉन बीजिंग पहुंचे, तो साफ नीला आसमान देखकर उनके मुंह से बेसाख्ता निकल पड़ा- मैंने ऐसा खूबसूरत बीजिंग पहले कभी नहीं देखा था। मैक्रॉन सही कह रहे थे। दस साल पहले इस शहर की आबोहवा इतनी खराब थी कि सूरज सिर्फ एक धुंधले पिंड के तौर पर दिखाई पड़ता था। याद आया, 2008 में जब मैं पहली बार बीजिंग...

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मातृत्व लाभ हर महिला का अधिकार- ज्यां द्रेज

बच्चों का पोषण, स्वास्थ्य और उनका भविष्य मां के पेट में निर्धारित होता है. अगर मां कुपोषित और बीमार होगी, तो बच्चे भी पीड़ित होंगे. गर्भावस्था के दौरान पोषण, दवा और आराम सब समय पर मिले, यह न केवल महिलाओं के हित की बात है, बल्कि बच्चों के अधिकार और देश के विकास की बात भी है. वास्तविकता यह है कि गर्भावस्था और प्रसव भारत की गरीब महिलाओं के लिए...

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मी टू अभियान: यौन हिंसा की पीड़ित महिलाएं इतनी देर चुप क्यों रहीं, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में

क्या आप भारत में किसी आंधी की तरह दस्तक दे चुके मी टू अभियान की ‘आपबीतियों' को गौर से पढ़ रहे हैं ? और, क्या आपको भी यह सवाल परेशान कर रहा है कि यौन-दुर्व्यवहार की ‘आपबीती' सुनाने में में इस अभियान की पीड़ित महिलाओं ने इतनी देर क्यों की? मी टू अभियान को लेकर आपके ऐसे कई सवालों का संभावित जवाब एक सरकारी दस्तावेज में दर्ज है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) के तथ्य संकेत करते...

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