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हिंदी सम्मेलन में खो गया बहुभाषीय भारत - डॉ अनिल सद्गोपाल

विश्व हिंदी सम्मेलन सरकारी जश्न था। सरकारी जश्नों की तरह यह जश्न भी कुछ मिथकों पर टिका हुआ था। इसका सबसे बड़ा मिथक था कि हिंदी का विकास बहुभाषीय भारत की तमाम समृद्ध भाषाओं को हाशिए पर धकेलकर करना संभव है। कहीं दूर से भी यह संदेश नहीं निकला कि जिस अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ हिंदी संघर्ष कर रही है, उसी के खिलाफ बाकी भारतीय भाषाएं भी जूझ रही हैं...

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हिन्‍दी अनिवार्य होने पर ही पूरा होगा डिजिटल इंडिया का सपना

भोपाल(मध्‍यप्रदेश)। पीएम नरेन्द्र मोदी का डिजिटल सपना सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्‍दी अनिवार्य होने के बाद ही पूरा हो पाएगा। कारण कि आज हिंदी में कई सॉफ्टवेयर उपलब्‍ध हैं, इसके बावजूद बैंक, बिजली विभाग, भारतीय बीमा जैसी कंपनियां आज भी हमें अंग्रेजी में बिल और पॉलिसी दे रही हैं। यह बात विश्व हिन्‍दी सम्मेलन में आए सी-डैक जीएसटी कंपनी के डायरेक्टर महेश कुलकर्णी ने कही। उन्होंने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार...

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स्कूली शिक्षा और कोर्ट का फैसला- योगेन्द्र यादव

इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के दो दिन बाद मेरे पास इमेल से एक अनजाने व्यक्ति की चिठ्ठी आयी. लिखनेवाली महिला कभी उत्तर प्रदेश सरकार में काम कर चुकी थीं, आजकल विदेश में हैं. चिठ्ठी बड़ी ईमानदारी और शालीनता से लिखी गयी थी. चिठ्ठी में उन्होंने पूछा कि हमने और स्वराज अभियान से जुड़े साथियों ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के उस फैसले का स्वागत क्यों किया, जिसमें सभी सांसदों, विधायकों, सरकारी अफसरों सहित...

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आदिवासी संघर्ष का जख्मी चेहरा- अपूर्वानंद

हिड़मे कौन है? क्या वह लड़का है या लड़की? हिड़मे भारतीय कानों के लिए एक अटपटा शब्द है। सांस्कृतिक-स्मृतिहीन लेकिन परंपराग्रस्त भारतीय माता-पिताओं को उनके पुत्र-पुत्रियों के नामकरण में सहायता करने के लिए हिंदी और अंगरेजी में जो नामावली पुस्तकें छपती हैं, उनमें यह नाम नहीं मिलेगा।   हिड़मे का पूरा नाम है कवासी हिड़मे। वह लड़की है। बेहतर हो कहना कि वह युवती है। लड़की से युवती बनने की यात्रा उसने...

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जन-गण का 'अधिनायक' कौन? - मृणाल पांडे

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने हाल में राजस्थान विवि के दीक्षांत समारोह के अवसर पर कविगुरु रबींद्रनाथ टैगोर के लिखे राष्ट्रगान 'जन गण मन" के एक शब्द 'अधिनायक" पर आपत्ति जताई है। महामहिम के अनुसार टैगोर ने यह गान तत्कालीन ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम के भारत आगमन पर 26 दिसंबर, 1911 को आयोजित ऐतिहासिक दिल्ली दरबार में उनकी स्तुति में लिखा था और इसमें 'अधिनायक" विशेषण ब्रिटिश बादशाह का...

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