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उच्च शिक्षा की ढ़लान- शशांक द्विवेदी

जनसत्ता 30 दिसंबर, 2013 : पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए भी तकनीकी और इंजीनियरिंग संस्थान खोलने की मंजूरी दे दी। अब तक कॉलेज को खोलने के लिए सोसाइटी या ट्रस्ट का गठन जरूरी था। केंद्र सरकार की इस नई पहल के तहत तकनीकी, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए कॉलेज शुरू करने वाली कंपनियों को कंपनी अधिनियम-1956 की धारा-25 के तहत...

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मनरेगा पर ज्यादा सरकारी धन खर्च

मनरेगा देश की सबसे बड़ी योजना है, जिस पर केंद्र सरकार 40-42 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है. इसके मकसद के बारे में सभी जानते हैं. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक कानून है, जो शासन को इस बात के लिए बाध्य करता है कि वह किसी भी ग्रामीण परिवार के वैसे सदस्यों को एक साल में सौ दिन का रोजगार मुहैया कराये, जो 18 साल...

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अजजा, अजा व ओबीसी स्कूलों का लें लाभ

मित्रो, कल्याण विभाग राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए कार्यक्रम चलाता है. राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 38.14 प्रतिशत है. इनमें 11.84 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 26.30 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए अविभाजित बिहार के समय से छात्रवास की सुविधा थी. उस समय अनुसूचित जाति के लिए 257 छात्रवास थे, जिनमें 11520...

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भारत का 'चुप्पा' विकास जो किसी को नहीं दिखा

उस वक्त को गुजरे ज़्यादा दिन नहीं हुए जब भारत के सबसे ग़रीब ज़िलों में बुनियादी सुविधाएं बहुत कम और विरल थीं. ज़्यादातर लोग अपने हालात के भरोसे थे. इनमें से कुछ लोगों को भरे-पूरे प्राकृतिक वातावरण का संग-साथ हासिल था और शायद उनकी जिन्दगी में वह आज़ादी और उत्साह भी था जो आज खो गया है. लेकिन अन्य बहुत से लोग भूख, असुरक्षा और शोषण के साये में रहते थे...

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कहां चूक गये हम ? - श्रीश चौधरी

आजादी के 66 वर्षो बाद भी शिक्षा जैसे बुनियादी विषय पर समाज की ऐसी दयनीय स्थिति चिंता व खेद का कारण है. हमारी गरीबी, हमारा पिछड़ापन, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हमारे उत्साह एवं प्रयास के अभाव का ही परिणाम है. स्वतंत्रता के बाद ही ऐसे कदम उठाये जाने चाहिए थे, ऐसी नीतियां बननी चाहिए थीं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सर्वव्यापी बनाते. परंतु वैसा नहीं हुआ. परिणाम सामने है - जिस समाज की...

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