पटना प्रदेश के सबसे बड़े व प्रतिष्ठित पटना मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में अच्छे सर्जन हैं, बड़ी-बड़ी मशीनें हैं भले ही खराब हों, पर कटर जैसे अन्य छोटे-छोटे उपकरण या तो उपलब्ध नहीं और यदि हैं तो काम के लायक नहीं हैं। मरीजों को बाहर से किराए पर ये उपकरण लाने पड़ते हैं। इसके चलते पीएमसीएच के बाहर किराए पर आपेरशन के उपकरण उपलब्ध कराने का धंधा खूब फल-फूल रहा है। इस प्रकार गरीब मरीज...
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पहली सालगिरह पर ‘क्रैश’ हुई उम्मीदें
इस त्रासद संयोग के बाद घमंड चूर हो जाना चाहिए। एयर इंडिया का प्लेन क्रैश ठीक उस दिन हुआ जब यूपीए2 पहले साल की उपलब्धियों की विशाल फेहरिस्त जारी करने वाला था। सरकार की अंदरूनी हालत बताती है कि इस तरह का हादसा होना ही था। पिछले पांच महीनों में सरकार की प्रतिष्ठा जितनी धूल-धूसरित हुई है उतनी पहले पांच सालों में नहीं हुई। ए राजा अगर आज भ्रष्टाचार का दूसरा नाम है, तो विमानन...
More »किसान मित्रों ने मांगा बकाया मानदेय
लखनऊ, 11 मई : बकाया मानदेय दिये जाने और बंद हुई कार्ययोजना को पुनर्विचार कर उसे चालू किये जाने सहित तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सैकड़ों की संख्या में किसान मित्रों ने मंगलवार को शहीद स्मारक पर धरना दिया। किसान मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले आयोजित धरने को प्रदेश अध्यक्ष सरोज दीक्षित ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि किसान मित्रों को 14 महीने का बकाया मानदेय न मिलने से उनके समाने आर्थिक संकट खड़ा...
More »बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ
कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...
More »भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका
उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...
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