एक छोटा-सा गांव, जिसकी आजीविका और अर्थव्यवस्था पर्यटन से चलती हो, उसने पर्यावरण के खतरे को महसूस किया। उसने मान लिया कि प्रकृति है, तभी उसका जीवन है, और इसके लिए जरूरी है कि जीवनशैली सुधारी जाए। यह है सिक्किम से 125 किलोमीटर दूर उत्तरी सिक्किम का गांव लाचेन। गांव ने तय किया है कि अब वहां न बोतल में बंद पानी आएगा, न प्लास्टिक या थर्मोकोल के डिस्पोजेबल बर्तन।...
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परिंदों के संग उड़कर आता बुखार--
तीन साल पहले भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित किया था कि उसके यहां बर्ड फ्लू का कोई नया मामला नहीं दिखा है, लिहाजा वह बर्ड फ्लू मुक्त देश है। ऐसी घोषणाओं के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी की जरूरत होती हो या नहीं, पर देश की राजधानी दिल्ली में बर्ड फ्लू से हुई दो दर्जन पक्षियों की मौतों ने साबित कर दिया है कि संक्रामक बीमारियों के वायरस...
More »डेंगू पर निर्देशों का पालन नहीं होने पर लगेगा जुर्माना: एनजीटी
नई दिल्ली। राजधानी में दो माह से जारी डेंगू व चिकनगुनिया के प्रकोप पर दिल्ली सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट दायर न करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नाराजगी जताई है। एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार की पीठ ने स्पष्ट कहा कि सभी सिविक एजेंसियां 21 सितंबर को उनके द्वारा जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें अन्यथा प्रत्येक सरकारी विभाग पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की...
More »हम किसे गरीब माने-- अवधेश कुमार
हमारे-आपके लिए कौन गरीब है इसे अपने आसपास पहचानना कठिन नहीं है। लेकिन जब सरकार की ओर से गरीबों की औपचारिक पहचान की बात आती है तो समस्या बढ़ जाती है। वास्तव में भारत में कौन गरीब है इसके निर्धारण का प्रश्न एक जटिल पहेली की तरह हमारे सामने लंबे समय से खड़ा है। गरीबी तय करने को लेकर समय-समय पर कुछ मानक निर्धारित किए गए और उनके आधार पर...
More »कचरे से जूझते हमारे शहर-- फिरोज वरुण गांधी
हमारे शहर संक्रामक रोगों के कब्जे में हैं। राजधानी दिल्ली तक इनसे नहीं बची है। डेंगू, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू, टायफायड, स्वाइन फ्लू जैसे तमाम रोग तेजी से फैल रहे हैं। मैं खुद पिछले दो वर्षों में चिकनगुनिया व स्वाइन फ्लू का शिकार बन चुका हूं। इन बीमारियों का फैलना कोई नई प्रवृत्ति भी नहीं है। 23 सितंबर, 1994 का दिन याद कीजिए। उस दिन सूरत के कई हिस्सों में न्यूमोनिक प्लेग...
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