जनसत्ता 19 सितंबर, 2012: यूपीए सरकार ने एक झटके में ताबड़तोड़ डीजल-रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से लेकर अर्थव्यवस्था के संवेदनशील क्षेत्रों को विदेशी पूंजी के लिए खोलने और सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों के विनिवेश जैसे कई बड़े और विवादास्पद फैसलों का एलान करके संकट में फंसी अर्थव्यवस्था पर ‘झटका उपचार’ (शॉक थेरेपी) को आजमाने की कोशिश की है। यह उपचार भारत में कोई पहली बार नहीं आजमाया जा रहा...
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एनएच व मनरेगा में हकमारी-।। रामनरेश चौरसिया ।।
पटना : केंद्र यदि बिहार की अनदेखी न करे, तो बिहार नेशनल हाइवे के मामले में भी विकसित राज्यों की बराबरी कर सकता है. राज्य में नेशनल हाइवे का वैसे ही संकट है, उस पर सिंगल नेशनल हाइवे भी यहां सबसे अधिक है. दूसरे राज्यों में, जहां फोर और सिक्स लेनवाले नेशनल हाइवे का निर्माण हो रहा है, वहीं बिहार में आज भी 839 किलोमीटर सिंगल रोडवाले एनएच हैं. सिंगल रोडवाले नेशनल...
More »पंचायत का तालिबानी फैसला, विधवा को मारे गए जूते
फिर एक महिला पंचायत के तालिबानी फैसले का शिकार हो गई। लगभग तीन सौ लोगों के सामने विधवा को अपमानित किया गया। पंचायत सदस्यों ने महिला के चरित्र पर सवाल खड़े करते हुए उसे जूते मारे। महिला का आरोप है कि दबंगों ने न सिर्फ उसके साथ मारपीट की बल्कि उसे बचाने आए उसके 12 साल के बेटे को भी नहीं बख्शा। पथरी थाना क्षेत्र की एक बस्ती में रहने वाली...
More »अगवा बचपन, बंधुआ बचपन- प्रियंका दुबे की रिपोर्ट(तहलका)
क्या हम जो खा रहे हैं उसे दिल्ली से अगवा बच्चे आस-पास के इलाकों में बंधुआ मजदूर बनकर उगा रहे हैं? प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. दिल्ली में जहांगीरपुरी की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाला 14 साल का महेंद्र सिंह सात अगस्त, 2008 की सुबह रोज की तरह घर से शौच के लिए निकला था. इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला. घरवालों ने उसे तलाशने की न जाने...
More »गरीब पिता नहीं दिला पाया पुस्तक, तो बेटे ने दिया जिंदगी भर का गम
इंदौर। राजेंद्रनगर थाना क्षेत्र में गरीबी के चलते एक पिता बेटे के लिए पुस्तक नहीं खरीद पाए। इस बात का मलाल उन्हें जिंदगीभर रहेगा। आठवीं की पढ़ाई करने वाले बेटे को पिता ने कहा था कि मजदूरी के रुपए मिलते ही पुस्तक दिला दूंगा। वह पिता की बात से निराश हो गया। निराश भी ऐसा हुआ कि उसने मौत को गले लगा लिया। वह शनिवार को फंदे पर लटक गया। माता-पिता...
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