कार्बनकॉपी, 01 नवम्बर मिस्र के शर्म-अल-शेख में सोमवार से शुरू हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में इस बात का आकलन भी होगा कि आखिर उन वादों से क्या हासिल हो रहा है जो दुनिया के तमाम देशों ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए किए हैं। इन राष्ट्रीय वादों या संकल्पों को तकनीकी भाषा में एनडीसी (नेशनली डिटर्माइंड कॉन्ट्रिब्यूशन) कहा जाता है। शर्म-अल-शेख सम्मेलन से पहले जलवायु परिवर्तन...
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आमदनी दुगनी के बजाए, आधी रह गई
कृषक जगत, 01 नवम्बर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2022 को गुजरने में अब मात्र दो माह का समय शेष है। हालांकि सरकार ने इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 2015-16 को आधार वर्ष माना है, जहां किसान की औसत वार्षिक आय रुपये 93216 आंकलित की गई थी। बेशक गत छ: वर्षों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पूर्व...
More »जीएम सरसों: एमएनसी का मायाजाल
पत्रिका, 28 अक्टूबर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मायाजाल बढ़ता जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से विकसित किए गए जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की किस्म डीएमएच-11 (धारा मस्टर्ड हाइब्रिड) को जेनेटिक इंजीनियरिग अप्रेजल कमेटी (जेइएसी) से एनवायरमेंटल रिलीज की अनुमति मिल जाना बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मायाजाल का ताजा विस्तार है। जेइएसी की बैठक में डीएमएच-11 को चार साल के लिए मंजूरी दी गई है। अगले दो साल तक इंडियन काउंसिल ऑफ...
More »बीकेएस ने जीएम सरसों पर जीईएसी की सिफारिश का विरोध किया
नवभारत टाइम्स, 28 अक्टूबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीईएसी की आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने की सिफारिश का विरोध करते हुए शुक्रवार को कहा कि नियामक ने भारत में किए गए किसी भी अध्ययन पर भरोसा किए बगैर यह निर्णय किस तरह ले लिया। बीकेएस ने एक बयान में कहा कि पर्यावरण मंत्री को...
More »पोषण से खाली भारत की थाली
डाउन टू अर्थ, 27 अक्टूबर भारत के सामने सबसे बड़ी बुनियादी चुनौती खाद्य और पोषण असुरक्षा की है। इस विषय को बहुत तार्किक ढंग से समझे जाने की जरूरत है। विश्व में भारत को मज़बूत करने की शुरुआत देश को भीतर से मज़बूत करने की पहल से होगी। भूख की स्थितियों को नकारने से भारत की गरिमा में कोई विस्तार न होगा। वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) यह नहीं कहता कि...
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