दिलचस्प है कि इस बार अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार एक ऐसे शख्स को मिला है, जिसने भारत में गरीबी नापने के प्रचलित तरीकों पर भी सवाल उठाकर इसे सुधारने में अहम भूमिका अदा की है। प्रचलित तरीकों से लोगों द्वारा किए जा रहे उपभोग का सही अनुमान नहीं लग पाता था और वास्तविक गरीबी का चित्र नहीं उभर पाता था। अर्थव्यवस्था में राज्य हस्तक्षेप के समर्थक इस वर्ष के नोबल विजेता...
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गरीब की थाली से गायब होती दाल-- अश्विनी महाजन
अभी महंगे प्याज से त्रस्त जनता को आंशिक राहत मिलने लगी थी कि पिछले लगभग दो महीने से दाल, खासकर अरहर और मूंग की दालों के भाव आसमान छू रहे हैं। बाजार में अरहर की दाल 187-210 रुपये और उड़द की दाल 195 रुपये प्रति किलो बिक रही है। दालों के भाव पिछले कुछ वर्षों से ऊंचे बने हुए हैं और यह आम जन की पहुंच से बाहर होती जा...
More »मुद्रा बैंक :समग्र विकास का अंग--- अविनाश राय
हमारे देश में लाखों करोड़ों ऐसे सामान्य नागरिक हैं जो छोटे-छोटे कारोबार और उद्योग चलाते हैं परन्तु वे अक्सर औपचारिक और संगठनात्मक ऋण व्यवस्था के दायरे से बाहर ही रहते हैं, जबकि समग्र अर्थव्यवस्था में सामूहिक रूप में उनका सहयोग बहुत विशाल हो जाता है। यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। इस संदेश के माध्यम से उन्होंने उन छोटे-छोटे व्यवसाय, दुकान चलाने वालों और यहां तक कि रेहड़ी-पटरी...
More »लचर शिक्षा, अयोग्य बच्चे! कौन है इसका जिम्मेदार?-- रुचिर गर्ग
राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड ने एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के हाल पर अपनी व्यथा खुल कर जाहिर की। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी स्कूली शिक्षा की इस बिगड़ी तस्वीर से नाखुश हैं, चिंतित हैं। सरकार के उच्च स्तर से आई इस व्यथा और चिंता से एक बात तो दिखती है कि कम से कम शिक्षा एक ऐसा मसला है जिस पर इस राज्य में विपक्ष...
More »शिक्षा और स्वास्थ्य के बाद जल संसाधन विभाग में भी आउटसोर्सिंग
विनोद सिंह, जगदलपुर (ब्यूरो)। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के बाद अब जल संसाधन विभाग ने भी सर्वे के लिए निजी एजेंसी से निविदा बुलाई है। पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का आंकलन निजी एजेंसी से कराने निविदा बुलाई जा चुकी है। अब तक जल संसाधन विभाग में योजनाओं के निर्माण के लिए सर्वे और प्राक्कलन तैयार करने...
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