केंद्र सरकार और एशिया विकास बैंक के बीच 15 करोड़ डॉलर के एक समझौते के अनुसार ग्रामीण स्तर पर स्व रोजगार को बढावा देने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग खादी क्षेत्र में सुधार का कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमें खादी उद्योग की 300 ईकाइयों की उत्पादन क्षमता बढाई जाएगीं। खादी को प्रोत्सहान देने और बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी और...
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मिड डे मील में भी घोला ऊंच नीच का जहर
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में मासूम बच्चों में जातिवाद का जहर घोला जा रहा है। मंडी जिले के एक सरकारी स्कूल में दलित बच्चों को अलग पंक्ति में शौचालय के पास बिठाकर खाना खिलाया जा रहा था। बुधवार को जांच टीम के पहुंचने के बाद दलित बच्चों को स्कूल परिसर में खाना खिलाया गया लेकिन सामान्य वर्ग के बच्चों ने खाना खाने से इनकार कर दिया। हिमाचल किसान सभा के सदस्यों ने...
More »ओझल आदिवासी समाज- विनोद कुमार
जनसत्ता 26 अगस्त, 2014 : आदिवासी समाज के बारे में इधर हमारी दृष्टि बदली है। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों के बाहर आदिवासी समाज के बारे में अब भी एक कौतूहल का भाव रहता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प होगा कि गैर-आदिवासी समाज आज भी आदिवासी समाज को किस रूप में देखता है। राजनेताओं की नजर में आदिवासी समाज की अहमियत क्या है, इसे हम कुछ उदाहरणों से...
More »वंचित तबके के हक पर डाका डालने वाले- सुभाष गताडे
अनुसूचित तबकों के छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति जारी करने में विलंब के चलते लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। पिछले दिनों राज्यसभा में शून्यकाल में इसी मसले को बसपा के एक सांसद ने उठाकर सदन का ध्यान खींचने की कोशिश की थी। संविधान के अंतर्गत अनुसूचित तबकों को दिए गए आरक्षण के बावजूद समय पर छात्रवृत्ति न मिलने से इन तबकों के छात्रों की पढ़ाई...
More »देश में साढ़े चार लाख से ज्यादा परिवार बेघर !
आजादी के अड़सठ साल बाद भी देश में कम से कम साढ़े चार लाख परिवार बेघर हैं। बेघर परिवारों में से प्रत्येक का औसत तकरीबन चार( 3.9 व्यक्ति) व्यक्तियों का है। जनगणना के नये आंकड़ों(2011) से पता चलता है बीते एक दशक(2001-2011) के बीच बेघर लोगों की संख्या 8 प्रतिशत घटी है तो भी देश में अभी कुल 17.7 लाख लोग बिल्कुल बेठिकाना हैं। हालांकि देश की कुल आबादी में बेघर...
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