लोकसभा में ‘आधार' को मनी बिल के तौर पर पास करवाने के बाद राज्यसभा में बिल पेश किया गया है जिससे यह बिल संसद में पारित हो ही जाएगा। इस असंवैधानिक कदम को उठाने के लिए सरकार क्यों मजबूर हुई जो और भी कई वजहों से गैरकानूनी है? राज्यसभा की उपेक्षा से संविधान तथा संसदीय व्यवस्था को खतरा - मोदी सरकार का राज्यसभा में बहुमत नहीं है जिसकी वजह से कई...
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सवाल विज्ञान-मुखी बनने का है-- प्रमोद जोशी
विजय माल्या के पलायन, देशद्रोह और भक्ति से घिरे मीडिया की कवरेज में विज्ञान और तकनीक आज भी काफी पीछे हैं. जबकि इसे विज्ञान और तकनीक का दौर माना जाता है. इसकी वजह हमारी अतिशय भावुकता और अधूरी जानकारी है. विज्ञान और तकनीक रहस्य का पिटारा है, जिसे दूर से देखते हैं तो लगता है कि हमारे जैसे गरीब देश के लिए ये बातें विलासिता से भरी हैं. नवंबर...
More »आधार' मतलब पारदर्शिता और निगरानी-- रामसेवक शर्मा
बात केरोसीन की हो या रसोई गैस की या फिर उर्वरक की. अमूमन जरूरतमंदों को समय पर नहीं मिलती हैं. मजबूरन बिचौलियों से तय मूल्य से ज्यादा अदा कर इसे खरीदना पड़ता है. यह भ्रष्टाचार के साथ एक तरह से देश की अर्थव्यवस्था पर डाका है, लेकिन सरकार ने 'आधार' आधारित डीबीटी अनुदानों के जरिये इस पर काफी हद तक रोक लगायी है. बिचौलियों की भूमिका समाप्त की है. रसोई गैस...
More »प्रतीकों के पीछे छुपे हुए अर्थ - मृणाल पांडे
आज जब देशभक्ति पर तर्कशील विमर्श असंभव होता जा रहा है और भावुकता दिमागों पर हावी है, ऐसे में राष्ट्र को एक मातृदेवी का रूप देने की तर्कसंगत व्याख्या सामयिक है। संविधान के तहत धर्मनिरपेक्ष घोषित देश में राष्ट्रभक्ति को भारतमाता की देवीस्वरूपा प्रतिमा की तरह जयकारे बुलवाने और प्रणाम करने की जिद पर गौर करना चाहिए, जो बहुलतामय भारत के राज-समाज में प्रभु के विभिन्न् स्वरूपों को मानने वालों...
More »दकियानूसी कैसे हो गई देशभक्ति? - गिरीश्वर मिश्र
वैश्वीकरण के दौर में देश और राष्ट्र जैसे शब्द पुराने पड़ते जा रहे हैं। अंग्रेजी का कंट्री शब्द गंवई क्षेत्र की ओर संकेत करता है। नेशन एक अमूर्त विचार है, जिसका स्वरूप उसके मानने वालों के अपने नजरिए पर ही निर्भर करता है। यह भी एक प्रचलित मत है कि नेशनलिज्म का कोई एक अर्थ नहीं होता, वह एक बहुलार्थी शब्द है जिसका उपयोग किसी भी ढंग से किया जा...
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