भारतीयों को विवाद-प्रिय माना जाता है और हमारी यह विवादप्रियता एक बार फिर से उठान पर है ! गरीबी-रेखा और गरीबों की तादाद के बारे में लंबे समय तक वाक्युद्ध में उलझे रहने के बाद, प्रसिद्ध अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अर्थशास्त्रियों ने एक बार फिर से विवाद छेड़ा है कि भारत में कुपोषण का विस्तार कितना है। पहले योजना आयोग ने गरीबों की संख्या को कागजी तौर पर घटाने की कोशिश की...
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स्वास्थ्य नीति की बीमारी-भारत डोगरा
जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...
More »जंगल-जमीन बचाने के लिए सतपुड़ा में आंदोलन- बाबा मायाराम
इन दिनों सतपुड़ा के जंगलों के आदिवासी आंदोलित हैं। इसकी एक झलक होशंगाबाद में जब दिखाई दी तब आदिवासियों के जोशीले नारों से यहां की गलियां गूंज उठीं। दूरदराज के गांवों से सैकड़ों की तादाद में यहां आकर आदिवासियों ने जता दिया कि शेर पालने के नाम पर उनकी रोजी-रोटी पर लगाई जा रही रोक उन्हें मंजूर नहीं है। इसका पूरी ताकत से विरोेध किया जाएगा। इस जुलूस का फौरी असर...
More »300 घरों की उजड़ी थीं खुशियां, अब 45 दिन बाद जले घरों में चूल्हे
ढांड. गांव पबनावा में दलितों और सवर्णो के बीच चल रहा विवाद समाप्त हो गया है। गांव में जन जीवन आम दिनों की भांति सामान्य हो गया है। दलित परिवारों के घरों में 45 दिन बाद चूल्हा जलने लग गया है। जिससे दलित परिवारों में खुशी का माहौल बना हुआ है। भरपाई देवी, संतरो, श्यामो, रीना, बोहती, मेसर ने बताया कि गांव में दलितों पर हुए हमले के...
More »भूख से हुई दो बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई राजनीति
वाराणसी। आज़ादी के कई दशक बाद भी इस देश में अगर कोई भूख से मर जाये तो इससे शर्मनाक बात शायद हो नहीं सकती। बजरडीहा इलाके में शुक्रवार को पांच साल के मुर्तजा और तेरह साल की समीना का भूख के कारण मौत हो गया !फ़िलहाल मौत के बाद से ही राजनीती शुरू हो गयी है ,दरवाजे के चौखट पर राजनैतिक पार्टियों के नेताओं का जमघट भी लगना शुरू...
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