महाराष्ट्र और गुजरात में जारी सूखे की स्थिति से यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि आने वाले दिनों में पानी की उपलब्धता का मुद्दा और गंभीर हो सकता है और पानी की किल्लत कई किस्म के संघर्षों की जननि साबित हो सकती है। भारत आज विश्व में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। बहरहाल यह बात दिन के उजाले की तरह साफ हो चुकी है कि जिस रीति...
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जल संकट पर गुजरात में राजनीतिक माहौल गरमाया
अमदाबाद। गुजरात में विपक्षी दलों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने राज्य के कई इलाकों में पानी की कमी के मसले पर ‘निष्क्रियता\' और ‘कुप्रबंधन\' को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लेकिन गुजरात सरकार इस संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है कि उसने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने की इजाजत नहीं दी और द्वार निर्माण रोक दिया। सरकार का दावा...
More »चौदह सेज डेवलपरों को अतिरिक्त समय
नई दिल्ली। सरकार ने 14 विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) डेवलपरों को अपनी परियोजनाएं विकसित करने के लिए अतिरिक्त समय दे दिया है। इनमें कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी और पार्श्वनाथ सेज भी शामिल हैं। वाणिज्य सचिव एसआर राव की अध्यक्षता में हुई बोर्ड ऑफ अप्रूवल (बीओए) की बैठक में यह फैसला हुआ। बोर्ड ने यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड को लखनऊ में आइटी सेज स्थापित करने की मंजूरी दे दी। यह सेज 40 हेक्टेयर में...
More »जरूरी दवाएं महंगी कर देगी यूरोप से संधि
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सस्ती दवाओं की खुशी जल्द ही काफूर हो सकती है। केंद्र सरकार यूरोपीय समुदाय के साथ गुपचुप रूप से जो मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने जा रही है उसके बाद भारत सख्त पेटेंट शर्तो में बंध सकता है यानी दवाएं महंगी हो सकती हैं। समझौता गुपचुप इसलिए है क्योंकि इसके प्रावधान सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। आमतौर पर मुक्त व्यापार समझौतों का मसौदा संबंधित पक्षों की...
More »वनाधिकार कानून का सफेद और स्याह
वनाधिकार कानून की यात्रा साल 2006 के बाद से आज दिन तक किस मुकाम तक पहुंची है- इसका जायजा लेने के लिए देश भर से कुछ समूह दिल्ली में जुटे थे। वनाधिकार कानून को अक्सर ऐतिहासिक करार दिया जाता है क्योंकि इस कानून वनक्षेत्र और उसके आस-पास रहने वाले समुदायों और व्यक्तियों को भूस्वामित्व का हकदार बनाया, इस हकदारी को अवैध करार देने वाले सदियों पुराने चलन का खात्मा किया।...
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