नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। थोड़े से कष्ट के बदले ढेर सारी खुशी मिले तो क्या हर्ज है। यही सोचकर चिलचिलाती गर्मी झेलते रहिए। इस गर्मी में अच्छे मानसून के संकेत छुपे हैं। और, जब बदरा जमकर बरसेंगे तो फसलों की बुआई और कटाई जल्दी होगी। अच्छी बारिश से पैदावार बढ़ेगी और समय से बाजार में आएगी। नतीजतन, जिन्सों की जमाखोरी करने वाले अपना माल बाजार में निकालेंगे, जिसका असर कीमतों में गिरावट के रूप में...
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नीम फसलों का असली हकीम
बुलंदशहर। नीम हकीम से भले ही बचने की सलाह दी जाती हो लेकिन फसलों के लिए नीम ही हकीम है। जहां नीम, वहां क्या करे हकीम। ऐसी कहावतों से नीम की गुणवत्ता सदियों से परिलक्षित हो रही है। यह फसलों की सुरक्षा में भी बेजोड़ है। किसान जैसे-जैसे इसकी खूबियों से वाबस्ता हो रहे हैं, इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है पर पेड़ों के कटान से समस्या यह भी आई है कि जो गांव-घर की...
More »किसानों व कारपोरेट सेक्टर का गठजोड़ जरूरी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने गांवों के विकास के लिए किसानों और कारपोरेट सेक्टर के गठजोड़ पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ही खाद्य प्रसंस्करण और कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से कंपनियों और किसानों दोनों को लाभ होगा। वह योजना आयोग के एक समारोह में बोल रही थीं। राष्ट्रपति ने कहा कि ग्लोबल मंदी के बावजूद भारत के कम प्रभावित होने की वजह उसकी ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था रही है,...
More »धरती कहे पुकार के
ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
More »सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराये जाएंगे- अरुंधति रॉय
दंतेवाड़ा को समझाने के कई तरीके हो सकते हैं। यह एक विरोधाभास है। भारत के हृदय में बसा हुआ राज्यों की सीमा पर एक शहर। यही युद्ध का केंद्र है। आज यह सिर के बल खड़ा है। भीतर से यह पूरी तरह उघड़ा पड़ा है। दंतेवाड़ा में पुलिस सादे कपड़े पहनती है और बागी पहनते हैं वर्दी। जेल अधीक्षक जेल में है, और कैदी आजाद (दो साल पहले शहर की पुरानी जेल से करीब 300...
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