आखिरकार बिहार ने कर दिखाया। बिहार में सफल सामाजिक अंकेक्षण का यह काम हुआ अररिया जिले के जमुआ पंचायत में और वह भी तब, जबकि जोर-जबर्दस्त भी हुई और धमकी भी बदस्तूर दी गई। तकरीबन दो हजार ग्रामीणों ने निर्भय होकर इस अंकेक्षण में भाग लिया और अधिकारियों, नागरिक संगठन के नुमाइन्दों के सामने अपनी बात ऱखी। इस सामाजिक अंकेक्षण से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। पंचायत के रिकार्डों से झूठे मस्टररोल और...
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कमजोर एवं पात्र व्यक्ति तक पहुंचे खाद्य सामग्री
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र : खाद्य मंत्री बाबूलाल नागर ने कहा है कि विभाग की योजनाओं से गरीबों को लाभान्वित करने में संवेदनशीलता से भूमिका निभाते हुए समाज के कमजोर एवं पात्र व्यक्ति एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सामग्री की पहुंच सुनिश्चित की जाए। नागर शनिवार को यहां इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में राजस्थान खाद्य, नागरिक आपूर्ति सेवा समिति के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सामग्री...
More »गुजरात में अनिवार्य मतदान विधेयक पारित
अहमदाबाद. गुजरात में स्थानीय निकायों और पंचायत संस्थाओं में मतदान अनिवार्य करने संबंधी गुजरात सत्तामंडल (संशोधन)-2009 विधेयक शनिवार को विधानसभा ने पारित कर दिया। इसी के साथ गुजरात देश में इस तरह का विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है। विधेयक में राज्य के सभी पंजीकृत मतदाताओं के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में मतदान अनिवार्य बनाया गया है। ऐसा न करने पर मतदाता को डिफॉल्टर घोषित कर...
More »नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच
सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था। कुल 1 हजार की तादाद में पगड़ियां थीं और उनका रंग मटमैलेपन के बीच पूरी शान...
More »ग्रामीण भारत में गरीबों की तादाद आधिकारिक आकलन से ज्यादा
यह बात अब आधिकारिक सूचना में आ चुकी है कि भारत में गरीबी पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। इस माह की 9 तारीख को सौंपी गई सुरेश तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गरीबी 37 फीसदी(2004-05) है ना कि 28 फीसदी, जैसा कि पहले के आकलनों में माना जाता रहा है।यदि तेंदुलकर समिति के आकलन में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई मौजूदा बढ़ोतरी को जोड़ दें...
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