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गुड़ दस हजार रुपये किलो!

रमनजीत सिंह, तलवंडी साबो । अंग्रेजी की पुरानी कहावत है 'ओल्ड इज गोल्ड' और यह कहावत यहां के गुड़ पर भी लागू होती है। दरअसल यह गुड़ कई गुणों का धनी है। सही मानें तो यह संजीवनी है। जी हां, यहां पंसारी की एक ऐसी दुकान है, जहां गुड़ बेशकीमती चीज की तरह ही बिकता है। आसपास के इलाकों में देसी दवाखाने चलाने वाले वैद्य इस पुराने गुड़ को विभिन्न दवाएं तैयार करने में...

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महिलाओं ने तोड़ी रूढि़यों की जंजीरें

हल्द्वानी [नैनीताल, कमलेश पांडेय]। पहाड़ की अबलाओं ने भी रूढि़यों की जंजीरों को तोड़ मान्यताओं के दुर्गम रास्तों को पार करना सीख लिया है। विभिन्न कारणों से वैधव्य झेल रही महिलाओं ने फिर से विवाह कर न सिर्फ मान्यताओं को खारिज किया, बल्कि अन्य लोगों के लिए जीवन की नई राह बनाई। सरकार ने इन साहसी महिलाओं को प्रोत्साहन योजना से 11-11 हजार रुपये देकर पुरस्कृत किया है। अल्मोड़ा जिले की नीलिमा [काल्पनिक नाम]...

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अस्पताल में मौजूद दवाई दे डाक्टर अन्यथा होगी कार्रवाई : स्वास्थ्य मंत्री

भुवनेश्वर। सरकारी अस्पतालों में मौजूद दवाइयां रोगियों को मिलनी चाहिए। डाक्टर रोगियों को प्रेसक्रिप्शन देने के समय इस पर ध्यान दें। अस्पताल में मौजूद दवाई रोगियों को बाहर से खरीदने के लिए बाध्य करने की जानकारी मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में खर्च हुई राशि डाक्टर के वेतन से पूरा करने का भी निर्णय लिया गया है। बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की एक बैठक में स्वास्थ्य मंत्री प्रसन्न आचार्य ने अस्पताल में...

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पहली सालगिरह पर ‘क्रैश’ हुई उम्मीदें

इस त्रासद संयोग के बाद घमंड चूर हो जाना चाहिए। एयर इंडिया का प्लेन क्रैश ठीक उस दिन हुआ जब यूपीए2 पहले साल की उपलब्धियों की विशाल फेहरिस्त जारी करने वाला था। सरकार की अंदरूनी हालत बताती है कि इस तरह का हादसा होना ही था। पिछले पांच महीनों में सरकार की प्रतिष्ठा जितनी धूल-धूसरित हुई है उतनी पहले पांच सालों में नहीं हुई। ए राजा अगर आज भ्रष्टाचार का दूसरा नाम है, तो विमानन...

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मनरेगा में करोड़ों का फर्जीवाड़ा

भोपाल। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा ) जो अब महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के नाम से जानी जाती है। इस योजना का उद्देश्य था कि क्षेत्र के मजदूरों को अपने ही गाव में काम मिले और वे पलायन नहीं कर सकें, लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से काम मशीनों द्वारा करा लिए जाते है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल पाता। इस कारण गरीब परिवार काम के सिलसिले में...

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