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‘हमारे गांव में हम ही सरकार’- अतुल चौरसिया

महाराष्ट्र के मेढ़ा गांव का उदाहरण बताता है कि स्वाभिमान और स्वावलंबन के साथ आजीविका का अवसर मिले तो नक्सलवाद से जूझते इलाकों में खुशहाली का नया अध्याय शुरू हो सकता है. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. महाराष्ट्र के गढ़चिरोली की सबसे बड़ी पहचान फिलहाल यही है कि यह नक्सल प्रभावित जिला है. आदिवासी और जंगल की बहुलता वाले इस जिले की धनौरा तहसील में एक गांव है मेढा. मेढा और लेखा...

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यहां सरकार नहीं समाज चलाता है स्कूलों को

अलगाववाद के कारण तबाह-परेशान देश के उत्तरपूर्वी राज्य नगालैंड ने स्कूली शिक्षा के मामले में देश को नयी राह दिखायी है. यहां सरकार ने राज्य के 15 सौ के करीब स्कूलों को समाज को सौंप दिया. इन स्कूलों का संचालन समाज ही करता है. वही शिक्षकों के कामकाज और मिड-डे मील की गुणवत्ता का निर्धारण करता है और स्कूल के बजट को अपने हाथों से खर्च करता है. इस प्रयोग...

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पहले नहीं अंत में खाते हैं शिक्षक

बिहार के मशरक प्रखंड में मिड -डे मिल खाने से हुई 23 बच्चों की मौत के बाद इस योजना को लेकर राष्ट्रीय बहस छिड़ी हुई है. देश के विभिन्न भागों से पहले भी मध्याह्न् भोजन खाने से मौत की खबरें आती रही हैं. लेकिन, बिहार की घटना अब तक की सबसे बड़ी घटना बतायी जा रही है. इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस घटना...

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262 शिक्षकों के जिम्मे 30 हजार विद्यार्थी

जमशेदपुर: जिले के उच्च विद्यालयों (सरकारी) में नौवीं व 10वीं कक्षा के विद्यार्थी भगवान भरोसे ही पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के साथ-साथ माह-दर-माह विद्यालयों में रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है. फिलहाल जिले में शिक्षकों के स्वीकृत पद 1282 हैं जिनके विरुद्ध मात्र 262 शिक्षक ही पदस्थापित हैं. मतलब 1020 शिक्षकों के पद खाली हैं. आलम यह है कि 30 हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने के...

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वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा

जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...

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