नई दिल्ली। बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में कमी आने के बावजूद उद्योग अभी भी सस्ते कर्ज से महरूम हैं। कंपनियों का मानना है कि वे कर्ज की निचली दरों का फायदा उठाने की स्थिति में अभी नहीं हैं। हालांकि कर्ज की लागत को परेशानी बताने वाली कंपनियों की संख्या पिछले साल के मुकाबले इस साल घटी है। फिक्की के नवीनतम बिजनेस कॉन्फिडेंस सर्वे के नतीजों से संकेत मिलता...
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मुसलिम महिलाओं के अधिकार-- रशीद किदवई
त्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अगर वास्तव में मुसलिम महिलाओं को उनके हक के लिए अपनी लड़ाई छेड़े हुए है और उनको उनका हक दिलाना चाहती है, तो राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कृषि भूमि में भी इन महिलाओं को उत्तराधिकारी बनाये जाने की वकालत करनी पड़ेगी. न सिर्फ वकालत, बल्कि इसके लिए पहले से बने कानून को भी उन्हें सख्ती से लागू करना होगा. इसके साथ ही नये...
More »परंपरागत तरीकों से सूखे की समस्या को मात देते लोग-- पंकज चतुर्वेदी
अभी देश से मानसून बहुत दूर है और भारत का बड़ा हिस्सा सूखे, पानी की कमी व पलायन से जूझ रहा है। बुंदेलखंड के तो सैकड़ों गांव वीरान होने शुरू भी हो गए हैं। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े जल संचयन स्थलों (जलाशयों) में पिछले साल की तुलना में कम पानी बचा है। यह सवाल हमारे देश में लगभग हर तीसरे साल खड़ा...
More »मार्च में मोबाइल ग्राहकों की संख्या 89.52 करोड़ के पार
भारती एयरटेल और वोडाफोन सहित सात दूरसंचार ऑपरेटरों के मोबाइल फोन ग्राहकों की संख्या मार्च में 56.8 लाख बढ़कर 89.52 करोड़ के पार पहुंच गई। इसमें दिसंबर, 2016 तक के नई कंपनी रिलायंस जियो के आंकड़े भी शामिल हैं। यदि जियो को अलग किया जाए तो मार्च, 2017 के अंत तक कुल मोबाइल ग्राहकों की संख्या 82.31 करोड़ बैठेगी। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के आंकड़ों के अनुसार मार्च, 2017...
More »सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय
र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
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