प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए विशेष पैकेज का ऐलान कर सियासत को हवा दे दी है। मगर उनके इस पैकेज में कई छेद रह गए हैं। कई योजनाओं की राशि को विशेष पैकेज के रूप में परोस दिया गया है, जोकि पहले से ही घोषित थी। ऐलान की राशि को लेकर समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कितने समय...
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हादसों की रफ्तार बनाम सुरक्षा की पटरी- प्रमोद भार्गव
भारतीय रेल परिवहन तंत्र विश्व का सबसे बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, पर विडंबना है कि यह किसी भी स्तर पर विश्वस्तरीय मानकों को पूरा नहीं करता। हां, इसे विश्वस्तरीय बनाने का दम जरूर सरकारें लंबे समय से भरती रही हैं। हर बजट में रेल परिवहन को विश्व मानकों के अनुरूप बनाने की बढ़-चढ़ कर घोषणाएं होती हैं, लेकिन उन पर जमीनी अमल दिखाई नहीं देता। जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी...
More »दिल्ली में सरकारों का छाया-युद्ध- विकास नारायण राय
अगर विज्ञापनों के बूते संभव होता तो दिल्ली से अब तक भ्रष्टाचार का नामो-निशान मिट चुका होता और इस महानगर की स्त्रियां पूरी तरह सुरक्षित हो गई होतीं। इस संदर्भ में दिल्ली की केजरीवाल सरकार और पुलिस आयुक्त बस्सी का मीडिया धरातल पर चल रहा प्रतिस्पर्धात्मक अभियान जमीनी सच्चाई से कोसों दूर है। उनके तरकश से राजधानी के राजनीतिक छाया-युद्ध में चलाए जा रहे तीरों का संबंध परस्पर अविश्वास से...
More »बेपटरी होता हमारा रेल बंदोबस्त - अरविंद कुमार सिंह
कामायनी और जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने से हुई भीषण दुर्घटना ने एक बार फिर से रेल सुरक्षा की दयनीय दशा पर देश का ध्यान खींचा है। रेलवे इसका प्रथमदृष्टया कारण भारी बारिश से आई बाढ़ बता रहा है। राहत और बचाव का काम यहां और दुर्घटनाओं की तुलना में बेहतर रहा। स्थानीय ग्रामीणों और राज्य सरकार ने काफी चुस्ती दिखाई, अन्यथा मौतों का आंकड़ा अधिक होता। हादसा...
More »पहले रेलवे को सुरक्षित तो बनाएं - घनश्याम सक्सेना
मध्य प्रदेश में हरदा जिले के पास कालीमाचन नदी की पुलिया जलप्लावन के कारण धंसने के फलस्वरूप जो रेल दुर्घटना हुई है, उसमें कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतरकर गिरने और जलमग्न होने की खबरें हैं। मुश्किल यह है कि इस भीषण त्रादसी के बाद राजनेताओं ने अपना सियासी रंग दिखाना शुरू कर दिया और राजनीतिकरण के इस धुंधलके में मूल मुद्दों के गुम हो...
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