मध्य प्रदेश का बैतूल जिला बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामले में देश भर में शीर्ष पर है. कोई इसकी वजह गरीबी से जोड़ता है, कोई सरकारी संवेदनहीनता से, कोई नई-नई आई जागरूकता से और कोई तो लालच से भी. शिरीष खरे की रिपोर्ट. महिलाओं की सुरक्षा के मामले में देश की राजधानी दिल्ली हमेशा ही चर्चा के केंद्र में रही है. लेकिन दिल्ली से ठीक एक हजार किलोमीटर दूर एक जगह...
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उषा से आशा...
राजस्थान के अलवर में रहने वाली ऊषा चाउमार ने अपने साथ सैकड़ों स्त्रियों को सिर पर मैला ढोने की प्रथा से छुटकारा दिलाया. विकास कुमार की रिपोर्ट. ऊषा पहले तो बात करने में खुलती ही नहीं. बेहद औपचारिक तरीके से दुआ-सलाम और फिर इधर-उधर की बातें करती हैं. लेकिन बार-बार अपने बारे में बताने का आग्रह करने पर जब वे अनौपचारिक होती हैं तो फिर बोलती ही जाती हैं. ढेरों बातें एक ही सांस...
More »जनाक्रोश का अश्वमेधी घोड़ा- योगेंद्र यादव
जनसत्ता 7 जनवरी, 2012: जंतर मंतर से दूर दो छवियां मेरे मन में अटक गई हैं। पहली छवि मेरी कॉलोनी की लड़कियों और महिलाओं के छोटे-से प्रदर्शन की है। किसी के हाथ में मोमबत्ती है, किसी के हाथ में तख्ती। पल भर को हैरत हुई, क्योंकि इन महिलाओं को मैंने अब तक सात-सबेरे बच्चों को स्कूल-बस में चढ़ाते, जाड़े की धूप में स्वेटर बुनते या फिर दोपहर बाद के किसी भी...
More »दिल्ली में महिलाओं पर पतियों के सितम के मामले बढ़े
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में महिलाएं केवल घर के बाहर ही नहीं बल्कि घर में भी असुरिक्षत हैं। 2011 में पतियों द्वारा महिलाओं पर अत्याचार के करीब डेढ़ हजार मामले दर्ज किए गए। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2011 में राजधानी में इस तरह के 1498 मामले दर्ज हुए जबकि 2010 और...
More »इस आंदोलन के निहितार्थ- आनंद प्रधान
जनसत्ता 3 जनवरी, 2012: दिल्ली की वह बहादुर लड़की शरीर और मन पर हुए प्राणांतक घावों के बावजूद जीना चाहती थी। देश के करोड़ों लोग भी यही चाहते थे। लेकिन वह लड़ते हुए एक शहीद की तरह चली गई। यह सही है कि वह भारतीय समाज में स्त्रियों के खिलाफ होने वाली बर्बर यौन हिंसा और भेदभाव की पहली शहीद नहीं है और न आखिरी। उसके जाने के बाद भी दिल्ली,...
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