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खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...

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गरीबी कौन मिटाएगा- रामेश्वर मिश्र पंकज

जनसत्ता 30 जुलाई, 2014 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तरह भारत से गरीबी मिटाने का संकल्प लिया है। समाजवादी दौर में चले सरकारी प्रचार ने शिक्षितों में यह भाव गहरा कर दिया है कि समाज की प्रत्येक विषमता, विपदा और विकृति को हटाने का दायित्व सरकार का है। सरकार ही तारणहार है, वही मसीहा है, वही पैगंबर है। वही चमत्कारिक शक्ति है। वस्तुत: शिक्षा और मीडिया पर...

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जीएम फसल : भरोसेमंद रिसर्च, अन्नदाता की भलाई में समाधान

जीन संशोधित यानी जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों को लेकर भारत में एक बार फिर जीन संशोधित यानी जीएम फसलों का मामला गरमा गया है। पेश है एक रिपोर्टः- नरेंद्र मोदी सरकार पर इस मसले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दबाव में काम करना आरोप लगा है। पहले खबर आई थी कि देश में 15 जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दे दी गई है। बाद में संघ से...

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सस्ती दवा के फॉर्मूले को अदालत में चुनौती

नई दिल्ली (एजेंसी)। दवा कंपनियों ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के दवा की कीमत तय करने के अधिकार और उसके फॉर्मूले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। 30 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की बायो टेक्नोलॉजी कमिटी ने भी इस मामले में दखल देने के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। फार्मा कंपनियों के मुताबिक एपीपीए के पास दवा की...

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प्रवासी श्रमिक : जो लौट के घर ना आए - रमेश नैयर

युद्ध में धंसे इराक से किसी प्रकार दो-एक सौ कामगारों को मुक्त कराके स्वदेश लाया जा सका है। उनके जीवन और मृत्यु के बीच झूलते रहे दिनों के अनुभव व्यथित करते हैं। वे 40 लाख से अधिक उन प्रवासी भारतीयों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराते हैं, जो मध्यपूर्व के देशों में काम कर रहे हैं। उनका वर्तमान आजीविका के जुगाड़ में खप रहा है। भविष्य असुरक्षा भरे अनिश्चय की...

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