राजीव सोनी, भोपाल। केंद्र सरकार देशभर में भले ही स्वच्छता मिशन पर अरबों रुपए खर्च कर जागरूकता फैलाने में जुटी हो, लेकिन मध्यप्रदेश के ज्यादातर डाकघरों में शौचालय की सुविधा तक नहीं है। छोटे शहर व गांवों में तो स्टाफ भी परेशान देखे जा सकते हैं। हालांकि महिलाओं व दिव्यांगों के मामले में अपवादस्वरुप कुछ डाकघरों में यह सुविधा है। फिर भी इतने सालों बाद विभाग ने अब 22 शहरों...
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दो घरों में झूलतीं विवाहिताएं-- मृदुला सिन्हा
पच्चीस से नब्बे वर्ष की विवाहिताओं से मिलते समय मेरा पहला प्रश्न होता रहा है- 'आपका घर कहां है?' करीब 95 प्रतिशत महिलाएं अपना घर, अपने मायके का गांव या शहर बताती रहीं. अविलंब अपना उत्तर सुधार कर कहती हैं- 'मेरी ससुराल का घर फलाने शहर या गांव में है.' यह सच है कि 90 वर्ष की महिलाएं पिछले 70-75 वर्षों से अपने ससुराल में ही हैं. विवाह के...
More »आधी आबादी का संघर्ष-- डा. अनुज लुगुन
तारीखें कैलेंडर में टंगी चुप्पी साधी चीज नहीं होती हैं, यह तो इतिहास के सबल साजो-सामान और विचार को हमारी आंखों के आगे चस्पा कर उस भार का एहसास दिलाती रहती हैं, जो पूर्वजों के कंधों से होकर हमारे वर्तमान में प्रवेश कर जाती हैं. फर्क इस बात का पड़ता है कि हम यूं ही कैलेंडर के पन्ने पलट देते हैं या उसे पढ़ पाते हैं. ऐसे ही 08 मार्च,...
More »एक साल बाद अब एपीएल वर्ग की महिलाएं भी विधवा पेंशन के दायरे में
भोपाल। पिछले एक साल से विधवा पेंशन योजना के दायरे को बढ़ाने की कवायद अब पूरी होती नजर आ रही है। विधवा पेंशन योजना से बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) के दायरे को समाप्त किया जा रहा है। बजट घोषणा से पहले सामाजिक न्याय विभाग इसका प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज चुका है। इससे करीब दस लाख महिलाओं को सीधा फायदा होगा। सरकार को अब योजना क्रियान्वित करने में 360...
More »लोकतंत्र में महिलाएं और मजलूम-- शशिशेखर
अंधी राजनीति ने किस तरह भारत के जागृत समाज को राजनीति से अलग कर दिया है, इसका जीता-जागता उदाहरण उत्तर-पूर्व के तीन राज्यों में हुए चुनाव हैं। मैं यहां किसी पार्टी अथवा नेता की हार-जीत की बजाय उस प्रवृत्ति का विश्लेषण करना चाहूंगा, जिसने ‘गनतंत्र' को पोसा और ‘गणतंत्र' को लगातार नुकसान पहुंचाया। नगालैंड से बात शुरू करता हूं। देश का यह बेहद संवेदनशील प्रांत गरीबी और पिछड़ेपन से जूझता...
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