क्या 1930 की महामंदी के बाद दुनिया एक और महामंदी की ओर बढ़ रही है? क्या हम यह मान लें कि वर्ष 2008 की मंदी इस महामंदी का शुरुआती दौर भर थी? दुनिया ग्रीस त्रासदी पर टकटकी लगाए हुए है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन कहते हैं कि 1930 जैसी महामंदी के हालात फिर से निर्मित हो सकते हैं। अलबत्ता इसके एक दिन बाद ही आरबीआई द्वारा सफाई...
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इमरजेंसी में कई मायनों में हुई थी चूक - जस्टिस राजिंदर सच्चर
जो देश अपने हाल-फिलहाल का इतिहास याद नहीं रखते, वे एक ही तरह की दुर्घटना दोहराने का खतरा उठाते हैं। देश की दो तिहाई आबादी 35 साल से नीचे की है। यदि इनमें से किसी से आपातकाल लगाए जाने के दिन यानी 26 जून, 1975 का महत्व पूछिए तो उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभरते हैं। कई बार 55 साल के लोगों से भी ऐसा जवाब नहीं मिलता, जिससे...
More »CIC, CVC के नामों को सरकार की मंजूरी
सरकार और विपक्ष ने सोमवार को मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी), दो सूचना आयुक्त (आईसी)और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के नामों को मंजूरी दे दी। इन नामों को अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। बता दें कि ये पद पिछले नौ महीने से खाली पड़े हैं और सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच...
More »खतरनाक है पब्लिक ट्रायल का विचार
‘तो यह समझ में आने लगा कि सीधे जनता को कानूनन यह ताकत देनी होगी कि यदि राशनवाला चोरी करे, तो शिकायत करने के बजाय सीधे जनता उसे दंडित कर सके. सीधे-सीधे जनता को व्यवस्था पर नियंत्रण देना होगा, जिसमें जनता निर्णय ले और नेता व अफसर उन निर्णयों का पालन करें.' साल 2012 में अरविंद केजरीवाल ने अपनी किताब के पेज नंबर 30 पर यह सवाल उठाया है. वे पूछ...
More »फायदे से ज्यादा होगा नुकसान - जयराम रमेश
निश्चित रूप से 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय करों का बड़ा हिस्सा राज्यों को हस्तांतरित किए जाने का निर्णय एक बड़ा कदम है, जो हाल में पेश किए गए बजट का मुख्य बिंदु रहा है। वित्त आयोग ने सुझाव दिया था कि केंद्र द्वारा वसूले जाने वाले करों का 42 फीसदी हिस्सा राज्यों को दे दिया जाए। अभी तक केंद्र द्वारा राज्यों को 32 प्रतिशत हिस्सा...
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