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कोविड-19 संकट के बीच मजदूरों को आर्थिक सहयोग देने की वित्तीय क्षमता रखती है भारत सरकार

-द प्रिंट,  कोरोनावायरस केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नई चुनौती बन कर सामने आया है. इसके मद्देनजर अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के सामने कई तरह के सुझाव रखे हैं. आर्थिक विशेषज्ञों ने एक बात स्पष्टता से रखी है- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित सहयोग पैकेज कामगार जनता को भूख से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आगे बहुत छोटा है. यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई), अन्न...

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संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढ़ियों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं

-इंडिया टूडे, बीसवीं सदी की महामंदी, 1991 के भारतीय आर्थिक संकट और 2008 की ग्लोबल बैंकिंग आपदा का इतिहास हमें कुरेद-कुरेद कर बताता है कि अंतत: वही जीतते हैं जो एक अच्छी आपदा को बर्बाद नहीं करते. संकटों को अवसर बना लेने वाले मुल्क अपनी अगली पीढि़यों को एक तपी-निखरी दुनिया सौंपते हैं. बड़े बदलाव के लिए किसी बड़े संकट का इंतजार था तो मुराद अब पूरी हो गई है. संकट में...

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किसानों के लिए बने रिस्क मैनेजमेंट अथॉरिटी- अशोक दलवई

-आउटलुक, औद्योगिक और वित्तीय क्षेत्र की तरह भारत के कृषि क्षेत्र में भी सुधारों की जरूरत है। इसमें विदेशी कंपनियों और घरेलू कॉरपोरेट सेक्टर को निवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत भारत 2.7 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बना है, लेकिन कृषि क्षेत्र अभी तक इन सुधारों से वंचित है। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि कृषि क्षेत्र सुधारों के दबाव को नहीं...

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बजट 2020 : सीधा-सरल नहीं, अंदर की बात में छिपे हैं झटके

-आउटलुक हिंदी   वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दशक का पहला बजट पेश करते हुए उसकी थीम “आकांक्षी भारत, आर्थिक विकास और हितैषी समाज” बताई। इस बजट से आम आदमी, किसान, कॉरपोरेट जगत को भी कई सारे आकांक्षाए थी। उसे उम्मीद थी कि मंदी के भंवर में फंस चुकी अर्थव्यवस्था को निकालने के लिए वित्त मंत्री लोगों के बजट में इजाफा करेंगी। इसके लिए उन्होंने टैक्स छूट का ऐलान भी किया। बजट...

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वित्त क्षेत्र को छोड़कर ज्यादातर भारतीय कंपनियों के लिये 2020 में बनी रहेगी चुनौतियां : मूडीज़

नई दिल्ली: मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने बृहस्पतिवार को कहा कि कमजोर आर्थिक वृद्धि, सुस्त पड़ती कमाई से वर्ष 2020 में वित्तीय क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की ज्यादातर भारतीय कंपनियों की साख परिस्थितियां कमजोर बनी रहेगी. मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ साख अधिकारी कोस्तुभ चौबाल ने कहा, ‘प्रमुख कंपनियों के क्रेडिट परिवेश में 2020- 21 के दौरान ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं लगती है. ऊंचा ऋृण स्तर, कमजोर मुनाफा...

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