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बिहार के प्रवासी: दो वक़्त की रोटी के लिए दिल्ली में फँसी 'ज़िंदा क़ौमें'

-बीबीसी, ज़िंदा क़ौमें पाँच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं. उत्तर पूर्वी दिल्ली के सोनिया विहार में दो दिन बिताने के बाद समाजवादी नेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की कही ये बात बार-बार ज़हन में घूमती हैं. लोहिया का कहना था कि बुनियादी अधिकारों के लिए पाँच बरस तक इंतज़ार नहीं किया जा सकता लेकिन बिहार के लाखों प्रवासी न जाने कितने दशकों से इंतज़ार ही कर रहे हैं. वैसे तो बिहार के लोग पूरे...

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बिहार: कमाने के लिए पंजाब गए कामगार सिख धर्म क्यों अपना रहे हैं

-द वायर, बिहार के अररिया जिले में इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते तक काफी तेज बारिश हुई थी. बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि पता नहीं पहले ऐसा कब हुआ था. इसके चलते कई इलाके में बाढ़ आ गया. इसके निशान एक महीने बाद भी जगह-जगह दिखते हैं. निचले इलाको के खेतों और गड्ढों में अब भी पानी है. इन इलाकों से गुजरने पर कई बच्चे जलजमाव से हिस्से में मछली निकालते हुए...

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टाइम यूज सर्वे: महिलाओं के गले में बंधा है घर का चुल्हा चौंका और देखभाल का अवैतनिक काम

अन्य कई कारणों के अलावा, देश में पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की कम श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) के पीछे एक कारण (अर्थशास्त्रियों के अनुसार) यह है कि युवा लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, जिसकी वजह से माध्यमिक और उच्च शैक्षिक स्तर पर महिलाओं के एनरोलमैंट में सुधार देखने को मिला है. इसका अर्थ यह है कि अधिक से अधिक भारतीय महिलाएँ अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए...

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सरकारी मूल्य तय है लेकिन अस्पतालों को चुकानी पड़ रही है ऑक्सीजन की भारी कीमत

-कारवां, कोविड-19 महामारी में देश भर के अस्पताल पहले की तुलना में ऑक्सीजन पर तीन गुना अधिक खर्च करने को मजबूर हो रहे हैं. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने वाले विभाग राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सितंबर के अंत में चिकित्सा ऑक्सीजन की कीमत कम कर दी थी. यह कदम भारत में महामारी के दौरान मांग में वृद्धि को संबोधित करने के उठाया...

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‘घर बनवाने के लिए पैसे जुटाए थे लेकिन गांव का हाल देखकर नाव बनवा ली’

-द वायर, सुपौल जिले के निर्मली विधानसभा क्षेत्र का पिपराही गांव सिकरहट्टा-मंझारी तटबंध पर दीघिया चौक से करीब ढाई किलोमीटर दूर है. यहां जाने के लिए कोसी नदी की एक धारा को नाव से पार करना पड़ता है. सितंबर-अक्टूबर के महीने में पहले नदी की इस धारा में पानी कम होता था लेकिन तीन -चार वर्षों से यह नदी की मुख्य धारा बन गई है और इसमें अब पूरे 12 महीने इतना...

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