यूरोप की अर्थव्यवस्था दूसरे विश्वयुद्व के बाद पूरी तरह लड़खड़ा गई थी और उस समय उद्योग को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय विकास की दिशा में दो बड़े परिवर्तन हुए। पहला विकास की परिभाषा गढ़ी गई, जिसका मतलब सीधा-सा यह था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आगे-पीछे के आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा इसी के बाद भोगवादी सभ्यता का तेजी से...
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अस्तित्व बचाने को जूझ रहीं "सभ्यता की जननी"
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जिनके आंगन में हजारों वर्षों से मानव सभ्यता फली-फूली, वे ही अपना अस्तित्व" बचाने को संघर्ष कर रहीं हैं। "सभ्यता की जननी" नदियों की हकीकत आज कुछ ऐसी ही है। जो हाल गंगा-यमुना का है वैसी पीड़ा में देश की 275 नदियां हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जीवनदायिनी नदियों की हालत सुधरने के बजाय बदतर हो रही है। इनको निर्मल और अविरल बनाने की राह...
More »चीन की विकास गाथा और हम- दिबांग
भारत के आजाद होने के दो साल बाद ही पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना बना था। 50 और 60 के दशक में भारत जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में चीन से लगातार आगे रहा, लेकिन आज भारत की अर्थव्यवस्था दो ट्रिलियन डॉलर की है और चीन की नौ ट्रिलियन डॉलर की। देखते ही देखते शंघाई दुनिया के सबसे वैभवशाली समृद्ध शहरों में गिना जाने लगा। चीन ने 1981 से 2013...
More »बीते साल महेंद्रगढ़ के 60 गांवों में नहीं जन्मी बेटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 22 जनवरी को शुरू की जाने वाली ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना को लेकर देश भर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल कस्बे में बेटियों के जन्म पर बड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यहां पिछले एक वर्ष में 60 गांवों में एक भी बेटी पैदा नहीं हुई है। ...
More »एक रेडियो स्टेशन जिसकी कमान है गांव की बेटियों के हाथ में
उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त हिस्से बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में एक ऐसा रेडियो स्टेशन संचालित हो रहा है जिसकी कमान जिले की बेटियों के हाथ में है. राज्य के इस पहले कम्युनिटी रेडियो 'ललित लोकवाणी' की कर्ताधर्ता रचना, उमा और विद्या नाम की लड़कियां हैं. रूढ़िवादी सोच वाले क्षेत्र से ताल्लुख रखने वाली इन बेटियों की आवाज आज ललितपुर के हर कोने में सुनी जाती है. 'ललित लोकवाणी' नामक कम्युनिटी...
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