" यह सड़क कहां जाती है ? "सड़क कहीं नहीं जाती, इस पर आने-जाने वाले लोग जाते हैं." विजयदान देथा की एक कहानी में चतुर बुढ़िया ने अपनी हाजिरजवाबी से राजा और मंत्री को छकाने के लिए कहा था. पता नहीं उदयपुर जिले के जनजातीय इलाके गोगुन्दा, कोटड़ा और सलुम्बर में चतुर बुढ़िया की यह लोककथा प्रचलित है या नहीं लेकिन यहां के राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर बुढ़िया की बात फिट बैठती है. लाने-जाने के...
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खाद्यान्न-उत्पादन : सूखे की मार के बीच क्या कहता है कृषि मंत्रालय का नया आकलन
कृषि मंत्रालय के एक हालिया पुर्वानुमान में कहा गया है कि मौजूदा फसली-वर्ष में खाद्यान्न उत्पादन कमोबेश पिछले साल जितना बना रहेगा.(देखें नीचे की लिंक) गौरतलब है कि बीते मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से दस राज्यों में हुए फसलों के नुकसान और जारी सूखे बीच आशंका जतायी जाती रही है कि चालू फसली-वर्ष में खाद्यान्न उत्पादन में कमी आयेगी. 2014-15 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 252.02 मिलियन टन था...
More »CM नीतीश की घोषणा, शराबबंदी पर बनेगी फिल्म और गांव-गांव में दिखायी जायेगी
दरभंगा / पटना : दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ऑडिटोरियम में जीविका समूह द्वारा आयोजित मद्य निषेध कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि शराबबंदी पर फिल्म बनाकर गांव-गांव में दिखाई जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी से बिहार में कुल संज्ञेय अपराधों में 17.08 प्रतिशत की कमी आयी है. मुख्यमंत्री ने लोगों से कहा कि वे शराबबंदी में पूर्ण सहयोग करें. इससे राज्य का भला होगा. सूबे...
More »मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन
अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...
More »बेटे के इलाज के लिए नहीं मिली सरकारी मदद, पिता ने की खुदकुशी
देवभोग। जिंदगी अब खत्म कर देने की सोच रहा हूं। शासन-प्रशासन से भी इच्छामृत्यु मांगी थी, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। मदद की उम्मीद अब शासन-प्रशासन से करना ही बेकार है। पांच सालों से बिस्तर पर पड़े-पड़े किसी तरह जिंदगी जी रहा हूं। आज जिंदगी को थामकर चलाने वाले मेरे पिता ने भी जिंदगी से हार मान ली और फांसी लगा ली। ये शब्द नम आंखों से...
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