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गांवों की ताकत: फोर्ब्‍स की सूची में दिखी गांवों से ताल्‍लुक रखने वाले 7 भारतीय

बोस्टन अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने सात सबसे शक्तिशाली भारतीयों की सूची जारी की है। ये सातों ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं। बावजूद इसके, उन्होंने ऐसी तकनीक इजाद की, जिससे देशभर में लोगों का जीवन बदल गया है। आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर व भारत के हनीबी नेटवर्क के संस्थापक अनिल गुप्ता ने फोब्र्स पत्रिका के लिए इन सात सबसे शक्तिशाली ग्रामीण भारतीय उद्यमियों का चयन किया है। गुप्ता का कहना है fd भारत के गांव बदलाव...

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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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प्रखंड स्तर पर होंगे फार्म मशीनरी बैंक

पटना जोत का रकबा घटने के कारण अधिकतर किसान कृषि यंत्रों की खरीद करने की स्थिति में नहीं हैं। कृषि यंत्रों में खराबी होने पर मरम्मत अलग समस्या है। इन सभी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रत्येक जिले में फार्म मशीनरी बैंक खोले जायेंगे। इसको व्यवसाय के रूप में संचालित किया जायेगा। राशि की व्यवस्था राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से से होगी। बिहार से ही उम्मीद पैदावार में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय कृषि...

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चुनाव से बंगाल में पहले होगी दूसरी हरित क्रांति

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। विधानसभा चुनाव होने के नाते पश्चिम बंगाल में सबसे पहले 'हरित क्रांति' होगी। केंद्र सरकार ने बजट में घोषित 400 करोड़ रुपये की दूसरी हरित क्रांति योजना में से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि पश्चिम बंगाल को दे दी है। यह वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का गृह राज्य भी है। दूसरी हरित क्रांति के लिए चुने गए बाकी पांच राज्यों को थोड़ा-थोड़ा 'चूरन' बांट दिया गया है। उन्नतशील...

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किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा

   कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...

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