एक अनुमान की माने तो वर्ष 2023 अल–नीनो की आगोश में आ जाएगा।अल–नीनो का संयोग भारत के लिए अशुभ माना जाता है।क्योंकि अल–नीनो के कारण कई बार बारिश की मात्रा में गिरावट आ जाती है; हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की उम्मीदों पर अल–नीनो तुषारापात करता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि अल–नीनो नाम की बला है क्या? आज का लेख उसी के नाम! अल–नीनो का प्रभाव मानसून और महासागर की...
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आईपीसीसी संश्लेषण रिपोर्ट के छह प्रमुख संदेश: 1.5 डिग्री सेल्सियस पर अंतिम चेतावनी जारी
डाउन टू अर्थ, 21 मार्च जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने आज यानी 20 मार्च 2023 को अपनी नवीनतम संश्लेषण रिपोर्ट (एसवाईआर) जारी कर दी है। यह रिपोर्ट इससे पहले आईपीसीसी द्वारा जलवायु में होते बदलावों पर जारी की गई छह रिपोर्टों के निष्कर्षों का सार प्रस्तुत करती है, जो छठे मूल्यांकन का हिस्सा है। इस कड़ी में पहली रिपोर्ट 2018 में तापमान पर होती डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि...
More »1901 के बाद फरवरी में पड़ी इतनी गर्मी, गेहूं, सरसों की पैदावार पर कितना असर?
इंडियास्पेंड, 20 मार्च उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर जिला भदोही के सुरियावां में रहने वाले किसान प्रमोद कुमार शुक्ला गेहूं की फसल देखकर परेशान हैं। उन्होंने इस साल 50 बीघा खेत (12.50 एकड़) में गेहूं लगाया है। लेकिन फसल की बदलती रंगत ने उनके चेहरे का रंग बदल दिया है। “कम से कम 35 साल से गेहूं की खेती कर रहा हूं। धान और गेहूं ही होता...
More »1901 के बाद फरवरी में पड़ी इतनी गर्मी, गेहूं, सरसों की पैदावार पर कितना असर?
इंडियास्पेंड, 17 मार्च उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर जिला भदोही के सुरियावां में रहने वाले किसान प्रमोद कुमार शुक्ला गेहूं की फसल देखकर परेशान हैं। उन्होंने इस साल 50 बीघा खेत (12.50 एकड़) में गेहूं लगाया है। लेकिन फसल की बदलती रंगत ने उनके चेहरे का रंग बदल दिया है। “कम से कम 35 साल से गेहूं की खेती कर रहा हूं। धान और गेहूं ही होता...
More »अगले 27 वर्षों में जलवायु आपदाओं का शिकार होंगे भारत के 95 फीसदी छोटे किसान: रिपोर्ट
डाउन टू अर्थ,2 मार्च देश में शायद ही कोई घर होगा जहां चावल न बनता हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगले 27 वर्षों में भारत धान की पैदावार के लिए उपयुक्त करीब 450,000 वर्ग किलोमीटर भूमि खो सकता है। इसके लिए कहीं न कहीं जलवायु में आता बदलाव जिम्मेवार है। देखा जाए तो इससे उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ किसानों पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह जानकारी मैकेंजी एंड...
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