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चतुर कल्याणकारी नौकरशाही-- डा भरत झुनझुनवाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार नियंत्रण में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. फिर भी मोदी का जादू धीमा पड़ता दिख रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. देश के शासन में नयी ताजगी आयी थी. वाजपेई ने कांग्रेस की कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को अंगीकार किया था. कांग्रेस की पाॅलिसी थी कि बड़े उद्यमियों को बढ़ावा दो. इनसे टैक्स...

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विस्थापितों के हक पर अफसरशाही की डकैती, न मुआवजा मिला न नौकरी

दामोदर घाटी परियोजना के विस्थापितों को साठ साल बाद भी न उनकी जमीन और घरों का मुआवजा मिल पाया है और न पुनर्वास के नाते नौकरी। पश्चिम बंगाल और झारखंड के चार जिलों के इन विस्थापितों में ज्यादातर आदिवासी हैं। कुल 240 गांवों की 38 हजार एकड़ जमीन और पांच हजार घर केंद्र सरकार की इस बिजली परियोजना ने 1954 में लील लिए थे। पर विस्थापितों को अंतहीन संघर्ष के...

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इतना काफी नहीं कर्मचारियों के लिए --- वरुण गांधी

कमजोर सेवा और कम उत्पादकता के कारण आम आदमी ही नहीं, निवेशक भी हमारी नौकरशाही की व्यवस्था को लेकर अच्छी राय नहीं रखते। फिर भी, इस सच्चाई को अनदेखा कर दिया जाता है कि सरकारी कर्मचारी, खासतौर से ऊंचे दर्जे के कर्मी, निजी क्षेत्र के कर्मियों के मुकाबले कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं। मसलन, 25 साल का अनुभव रखने वाले सरकारी डॉक्टर को औसतन 2.1 से 2.8...

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सामाजिक न्याय का अधूरा सपना-- प्रमोद मीणा

नौवें दशक के बाद से भारतीय राजनीति में दलित दलों और दलित नेताओं की स्वतंत्र पहचान बनी है और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी का सीधा मौका भी मिला है। पर अब इस प्रश्न पर विचार करने की जरूरत है कि इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हम किस तरह देख सकते हैं। क्या इसे स्वातंत्र्योत्तर भारत में लोकतंत्र की एक महान उपलब्धि के रूप में...

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पूरा गांव ही बिक गया और किसी को पता भी न चला!

बिहार। भू माफियाओं के आतंक में जो हो सो कम। बिहार से बेहद चौंकाने वाली खबर है कि यहां भू मा‍फियाओं ने एक दो संपत्ति नहीं बल्कि पूरा एक गांव ही बेच डाला और किसी को कानों कान भनक तक ना लगी। यह गोरखधंधा पश्चिम चंपारण बेतिया के धोखराहा गांव का है जहां के इस वाकये को सुनने के बाद अवाम अवाक हैं। ज़ाहिर है नौकरशाही की मिलीभगत के बिना...

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